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स्कूल के दिनों में शेक्सपियर का नाम सुना तो साथ में एक नाम और सुना ‘मर्चेंट ऑफ़ वेनिस’. मर्चेंट ऑफ वेनिस की कहानियां सुनते-पढ़ते ये अंदाज़ा भी नहीं था कि ये वेनिस शहर कहां है और ये तो बिलकुल भी नहीं नहीं कि एक दिन मैं ख़ुद वहां पहुंच जाउंगा.
तो हमारी यूरोप ट्रिप का अगला पड़ाव था नहरों का शहर वेनिस (Venice city). ऑस्ट्रिया (Austria)के अपने होटल से सुबह-सुबह हम निकल पड़े उत्तरी इटली इस मशहूर शहर की तरफ़. वेनिस पहुँचने में यहां से क़रीब साढ़े चार घंटे का वक़्त लगने वाला था.

हम बस से जा रहे थे और खिड़की के बाहर जो दुनिया थी वो कमाल की थी. हरे-भरे खेतों के बीच सुंदर और छोटे-छोटे शहर थे जिनके लकड़ी के घरों का स्थापत्य कमाल का लग रहा था. सब कुछ इतना साफ़-सुथरा और सुंदर था कि पलक झपकाने का भी मन नहीं हो रहा था.
ऑस्ट्रिया और इटली की सीमा पार करते हुए पता भी नहीं चलता कि आप एक देश की सीमा पार कर दूसरे देश में आ गए हैं. मुझे लग रहा था कि दो देशों की सीमाओं को इतना ही दोस्ताना होना चाहिए.
इटली आते ही एक खास बात नज़र आई. वो ये कि यहां खेतों में किलोमीटरों तक अंगूर और सेव की ज़बरदस्त खेती थी. ज़मीन का कोई भी हिस्सा नहीं था जिसका इस्तेमाल इन दो फलों को उगाने में न किया गया हो. हो भी क्यों ना इटली दुनिया भर में अपनी वाइन के लिए मशहूर है और उसके बनने की प्रक्रिया इन्हीं खेतों से तो शुरू होती है.

बीच-बीच में इटली के छोटे-छोटे शहर और बेहद खूबसूरत कंट्रीसाइड को हम पार कर रहे थे. सड़क इतनी बेहतरीन थी कि हमारी रफ़्तार कम होने का नाम नहीं ले रही थी और इसके बावजूद एक भी झटका महसूस नहीं हो रहा था.
क़रीब चार घंटे बाद खेत अचानक ग़ायब हो गए और आँखों के सामने लहराने लगा धूप में चमकता चाँदी सा पानी. ये था मेडिटरेनियन सी यानी भूमध्य सागर जिसे पार करके हमें पहुँचना था कई टापुओं से मिलकर बने नहरों के शहर वेनिस.

कुछ ही देर में हम एक छोटे जहाज़ में थे जिसका नाम था मार्को पोलो. तो इस वक़्त हम उस मशहूर घुमक्कड़ और वेनिस के व्यापारी के घर जा रहे थे जो दुनिया भर में घूमता रहा और यात्राओं की कहानियां सुनाता रहा.
क़रीब एक घंटे तक हमारा जहाज़ समुद्र की लहरों में गोते लगाता रहा और वेनिस की ऐतिहासिक इमारतें, दूर से हमें नज़र आ रही थी. जब हम उन इमारतों के क़रीब पहुँचे तो हमारी समुद्री यात्रा का पहला चरण भी पूरा हो गया. क़रीब 100 छोटे-छोटे आइलैंड्स पर बना बेहद पुराना और ऐतिहासिक शहर हमारे ठीक सामने था.
इस वक़्त हम जहाज़ से उतरकर वेनिस के एक टापू पर आ गए थे. पैदल-पैदल हम जा रहे थे सेंट मार्क स्क्वायर (st mark’s square venice) की तरफ़. रास्ते में सैलानियों की खरीदारी के लिए बने स्टॉल पर हमें नज़र आए वो खूबसूरत मास्क जिनके लिए वेनिस सदियों से मशहूर रहा है. इन बेहद खूबसूरत और रंग-बिरंगे मास्क की परंपरा के शुरू होने की कहानी और रोचक है. 13वीं सदी में चल निकली यह परंपरा 26 दिसम्बर को शुरू होने वाले सालाना कार्निवाल से शुरू हुई. इन अलग-अलग तरह के मास्क के पीछे नाच-गाने और मस्ती से लेकर राजनीतिक हत्याओं, रूमानी रिश्तों और गैम्ब्लिंग का खेल सदियों तक चलता रहा.

फ़िलहाल हमारे सामने थी सेंट मार्क स्क्वायर की एक और प्रसिद्ध जगह. यह थी यूनीफ़ाइड इटली के पहले राजा विक्टर इमैनुअल सेकंड की मूर्ति. चौराहे के बीच बनी यह मूर्ति दूर से ही आपको आकर्षित करने लगती है.

कुछ आगे बढ़े तो हम एक पुल पर थे जहां से नज़र आ रही थी वेनिस की एक और मशहूर जगह जिसे कहते हैं ब्रिज ऑफ़ साइज़. हिंदी में कहें तो ‘आहों का पुल’. इस पुल को यह नाम प्रसिद्ध अंग्रेज़ी कवि लॉर्ड बायरन ने दिया था. कहा जाता है कि वेनिस की जेल की तरफ़ ले जाए जाने वाले क़ैदी इसी पुल पर आख़री बार आहें भरकर इस खूबसूरत शहर को देखते थे. इसलिए इसका नाम ‘ब्रिज़ ऑफ़ साइज़’ पड़ा. कहते तो यह भी हैं कि इसके नीचे सूर्यास्त के समय एक-दूसरे को चूमने से प्रेमियों का प्यार अमर हो जाता है.

पुल के नीचे बहती नहर में नहर काले रंग की खास बनावट वाली कश्तियां सैलानियों को शहर घुमा रही थी. इन कश्तियों को गॉन्डोला कहा जाता है जो वेनिस के टापुओं के बीच आवाजाही का एकमात्र साधन हैं. मोटरगाड़ियों के न होने की वजह से यह शहर मशीनी शोर से दूर है. संकरी नहरों में नाविकों की गूँजती आवाज़ें और लोगों के पैदल चलने की आवाज़ तक यहां सुनाई देती है. शायद इसलिए यहां आकर ऐसा लग रहा था कि हम वक़्त में कई सदियों पीछे लौट आए हैं. शायद इसलिए यह शहर सदियों से लेखकों और कलाकारों का पसंदीदा रहा है.

थोड़ा आगे चले तो हमारे सामने था डोज पैलेस जो कि वेनीसियन रिपब्लिक के डोज यानी सबसे बड़े सत्ताधिकारी का महल हुआ करता था. इसके दूसरी तरफ़ थी सेंट मार्क बेसिलिका (saint mark’s basilica) जो वेनिस का सबसे मशहूर रोमन कैथलिक चर्च है. ये चर्च इटली के जाने-माने आर्किटेक्चर का भी एक ज़बरदस्त नमूना है. यहां अनूठी बनावट वाले ऐसे कई चर्च, अजायबघर और संग्रहालय हैं जिनमें मशहूर कलाकारों की पेंटिंग और मूर्तियां देखने को मिलती हैं.

कुछ देर इन नायाब इमारतों को निहारने के बाद अब वक़्त था शॉपिंग का. एक ज़माने में यूरोप का व्यावसायिक केंद्र रहा वेनिस अपने काँच के काम के लिए भी काफ़ी मशहूर है. यहां के लोकप्रिय मास्क के अलावा मुरेनो द्वीप (murano island italy) पर काँच और क्रिस्टल के बने गहनों की खरीदारी भी आप कर सकते हैं. बुरानो नाम का द्वीप अपने लेस (burano lace) और कढ़ाई के काम के लिए काफ़ी मशहूर है

हालांकि यह शहर बहुत महंगा है, इतना महंगा कि अब वेनिस के कई पुराने स्थानीय रवासी इस महंगाई का भार नहीं सहन कर पाते और कई तो दूसरे शहरों में जाकर बस गए हैं. 51 किलोमीटर लम्बी और 14 किलोमीटर चौड़ी नहर के बीच कई पुलों से जुड़े इस शहर का ज़्यादातर हिस्सा यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शुमार है.

वाकई इटली के ऐतिहासिक शहर वेनिस के बारे में जैसा सुना था ये शहर वैसा ही जादुई था. शायद यही जादू है जो सालभर में क़रीब दो करोड़ से ज़्यादा सैलानियों को यहां खींच लाता है. भूमध्य सागर पर लहरों के बीच बलखाती वॉटरबस से लौटते इस शहर को देखते हुए ऐसा लग रहा था जैसे हम अतीत के यात्रा करके वर्तमान में लौट रहे हों.
वेनिस शहर के बारे में खास बातें
118 द्वीपों से मिलकर बना यह शहर पाँचवीं और सातवी शताब्दी के बीच बना है
51 किलोमीटर लम्बा और चौदह किलोमीटर चौड़ा है यह लगून
इटली के वेनिस शहर कैसे पहुंचें
नज़दीकी हवाई अड्डा मार्को पोलो एयर पोर्ट है जो वेनिस से 12 किलोमीटर दूर है. वहां से सड़क मार्ग या मोटरबोट से आप वेनिस पहुँच सकते हैं. ट्रेन से आना चाहें तो नज़दीकी रेलवे स्टेशन सेंटा लूसिया स्टेशन है जो ऑस्ट्रिया, जर्मनी, पेरिस और लंदन जैसे शहरों से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है. यहां से वॉटर बस या प्राइवेट मोटरबोट लेकर आप वेनिस पहुँच सकते हैं.