5 Hindi travel books on foreign travel

5 हिंदी यात्रा वृत्तांत जो कराएंगे विदेश की सैर

विदेश यात्राओं पर हिंदी के यात्रा वृत्तांत (Hindi Travel books on foreign travel) कम ही हैं और उनपर बहुत बात नहीं होती.  मैंने सोचा कि क्यों ना इस कमी को पूरा किया जाए और आपको रूबरू कराया जाए उन किताबों से। वो किताबें जिनमें लहराती नदियाँ हैं, गहराते समंदर और हैं पहाड़ों की ऊँचाइयाँ या फिर मरुस्थलों की वीरानियाँ।

मैं खुद एक ट्रैवल राइटर हूँ ( मेरी किताबें आप यहाँ क्लिक करके मंगा सकते हैं) ज़ाहिर है यात्राओं की किताबों में दिलचस्पी भी है। तो अब से मैं कोशिश करूँगा कि आपको अपनी यात्राओं के साथ-साथ दूसरे फ़ेलो ट्रैवल राइटर्स के यात्रा वृत्तांत की जानकारी भी दूं  और उन यात्राकारों के में भी बताऊँ जो हमारे लिए यात्राओं के कितने क़िस्से लिखकर छोड़ गए हैं।

आज मेरे पास ऐसी ही पाँच यात्रा की किताबें हैं। इन किताबों के बारे में पहली ख़ास बात ये है कि ये सभी हिंदी में लिखी हुई किताबें हैं और दूसरी खास बात ये है कि सभी किताबें विदेश यात्राओं पर हैं।

तो चलिए जानते हैं उन पांच हिंदी ट्रैवल बुक्स के बारे में जो आपको कराएँगी विदेश की यात्राएँ 

Five Hindi travel books on foreign travel 

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  1. विलायत के अजूबे – मिर्ज़ा शेख़ इतेसामुद्दीन 

Vilayat ke ajubeये क़िताब मैंने मंगाई राजकमल प्रकाशन से। ये वही प्रकाशन है जहां से मेरी दूसरी किताब  दूर दुर्गम दुरुस्त आई थी। विलायत के अजूबे मूल रूप से फ़ारसी में लिखी गई थी और इसका नाम था शिग़ुरफ़नामा-ए-विलायत।

इस क़िताब के बारे में ये दावा है कि ये क़िताब किसी भी हिंदुस्तानी द्वारा यूरोप यात्रा पर लिखी गई पहली किताब है। पहले माना जाता था कि राजा राममोहन राय वो पहले पढ़े लिखे हिंदुस्तानी यात्री थे जिन्होंने यूरोप की यात्रा की थी। लेकिन मीर्ज़ा साहब ने यह यात्रा उनसे भी 65 साल पहले कर ली थी।   यानी पहले तो फिर वही हुए।

वो अठारहवीं शताब्दी का दौर था जब मुग़ल साम्राज्य अपने पतन की ओर बढ़ रहा था और यूरोपीय ताक़तें भारत में मज़बूत हो रही थी। ये क़िताब उसी दौर में लिखी गई किताब है।

सोचिए जब न हवाई जहाज़ थे, न यात्राओं के सुविधाजनक साधन, मीर्ज़ा साहब ने तब समुद्री मार्ग से ये बेहद कठिन यात्रा की। तो जाहिर है इस यात्रा के क़िस्से ही मज़ेदार तो होने ही हैं।

किताब पढ़ते हुए आप भी उस यात्रा की मुश्किलों को जीते हैं और मिर्ज़ा साहब की जिज्ञासा का हिस्सा बनते हैं। पहली बार इतनी लम्बी समुद्री यात्रा करते हुए उन्हें समुद्री जीव बड़ा आकर्षित करते हैं। जैसे वो व्हेल के बारे में बताते हैं, जलपरियों के क़िस्से सुनाते हीन, समुद्री गाय, उड़ने वाली मछली जैसे जीवों का मज़ेदार ज़िक्र भी करते हैं।

इस किताब के बारे में एक और ख़ास बात ये है कि एक कट्टर मुस्लिम यूरोपीय संस्कृति को देख रहा है और बेहद खुले मन से ।जो भी मन में आ रहा है उसे साफ़-साफ़ बयां कर रहा है बिना लाग लपेट के।

किताब में केपटाऊन, लंदन, ओक्सफ़ोर्ड, हौलेंड जैसी कई जगहों पर की गई उनकी यात्राओं के विवरण बहुत रोमांचक और चुटीले हैं। 

इस यात्रा वृत्तांत की प्रस्तावना लिखी है हिंदी के मशहूर लेखक असग़र वजाहद ने और अगली क़िताब जिसका ज़िक आज मैं करूँगा वो भी उन्हीं की है।

 

2. चलते तो अच्छा था – असगर वजाहद

Chalte tou achcha tha Asgar vajahadइस किताब में असगर वजाहद साहब के ईरान और अजरबेजान के यात्रा संसमरण है। वैसे आपको बता दूँ कि मैंने जामिया से पढ़ाई की है और वजाहद साहब भी जामिया में पढ़ाते रहे हैं। एक आध क्लास उन्होंने हमारी भी ली है। ख़ैर

इस किताब की ख़ास बात मुझे ये लगी कि वजाहद साहब बड़े ही सरल और सपाट शब्दों अपनी यात्रा के बारे में लिखते हैं और कहीं कुछ भी बताने में हिचकते नहीं हैं। जैसे एक जगह वो बताते हैं कैसे वो कोहेक़ाफ की परियों की तलाश में निकल जाते हैं और बाक़ायदा क़िताब में इस पर पूरा एक चैप्टर लिखा हुआ है।

वो बाकू से गूबा चले आते हैं क्योंकि उन्होंने सुना है कि वहाँ की लड़कियाँ परियों सी खूबसूरत हैं। उन लड़कियों के रंग-रूप चेहरे मोहरे क़द काठी का विस्तार से वर्णन करते हैं जिसे संस्कृत निष्ठ हिंदी में नख शिख वर्णन कहते हैं। और फिर मीर तकी मीर को याद करते हुए उनके चेहरे की ख़ूबसूरती कुछ वो यूँ बयां करते हैं – जो शक़्ल नज़र आई, तस्वीर नज़र आई।

एक मुस्लिम देश में वो अग्नि मंदिर भी तलाश लेते हैं तो कभी ठगों द्वारा ठग भी लिए जाते हैं। लेकिन यात्रा चलती रहती है।

किताब के क़िस्से मज़ेदार हैं और भाषा बहुत आसान। ईरान और अजरबेजान के बारे में हिंदी में ना के बराबर ही लिखा गया है इसलिए वजाहद साहब का ये यात्रा वृत्तांत आपको भी ज़रूर पढ़ना चाहिए।

 

3. एक बार आयोवा – मंगलेश डबराल

Ek baar aioa Maglesh Dabralये किताब लिखी है हिंदी के मशहूर कवि मंगलेश डबराल ने। राधाकृष्ण प्रकाशन से छपी ये क़िताब है तो बहुत पतली और छोटी सी लेकिन ये हिंदी में लिखा हुआ एक अलग तरह का यात्रा वृत्तांत है।

अलग इसलिए क्योंकि लेखक एक राइटर्स रेजीडेन्सी के लिए अमेरिका के आयोवा जाते हैं और उसी रेजीडेंसी के आस-पास के क़िस्से किताब में दर्ज करते हैं। तो इसमें जगहों की कम और लोगों की बात ज़्यादा होती है। लोग भी ऐसे जो या तो लिखने-पढ़ने वाले हैं, या कलाकार हैं। तो उनकी बातें भी मज़ेदार हैं।

एक बात जो मैंने नोट की वो ये की अमेरिकी कल्चर के बारे में किताब में कुछ तल्ख़ टिप्पणीयाँ भी हैं। मंगलेश पाब्लो नेरूदा के हवाले से कहते हैं यह भैंस के चमड़े की तरह फैला हुआ है।”  यहाँ के लेखक या तो खुद से ओब्ब्सेसड हैं या फिर सेक्स से।

किताब में अति उत्साही अमेरिकी लोगों पर तंज करते हुए एक मज़ेदार बात उन्होंने कही – किसी से पूछिए हाउ आर यू तो जवाब मिलेगा एब्सलय्यूटली फ़ाइन या फ़ीलिंग ग्रेट। लेकिन कोई मुझसे पूछे तो मैं कहता हूँ ऑल्मोस्ट फ़ाइन। व्हाई ऑल्मोस्ट? वो पूछते हैं तो मैं कहता हूँ – बीकज़ नोबडी इज़ एब्सल्यूटली फ़ाइन।

बात तो एकदम सही है और एक छोटी सी लाइन में इतनी गहरी बात एक कवि ही कह सकता है। इस फ़ोर्मल सी दूनिया में लोग किसी को कहाँ ही कहाँ ही बता पाते हैं कि वो असल में क्या महसूस कर रहे हैं। उनके भीतर चल क्या रहा है।

किताब पढ़ते हुए आप डबराल साहब के मन को भी पढ़ सकते हैं और एक कवि के मन को पढ़ना तो मज़ेदार होता ही ही। यक़ीन मानिए।

एक नन्ही मुन्नी सी सुंदर क़िताब है ये जिसे आपको ज़रूर पढ़ना चाहिए. 

 

4. हर बारिश में – निर्मल वर्मा

Har barish mein Nirmal varmaनिर्मल वर्मा यूरोप में खूब रहे हैं। और उनकी कहानियों में प्राग का ज़िक्र आपको बहुत मिलेगा। इस यात्रा वृत्तांत में भी प्राग पर कुछ वृत्तांत हैं।

निर्मल वर्मा किसी शहर में सिर्फ़ घूमते नहीं बल्कि उसकी रूह से गुज़रते हैं। इसके लिए उस जगह पर अच्छा ख़ासा वक्त गुज़ारना पड़ता है,  वहाँ रहना पड़ता है। प्राग में रहते हुए निर्मल वर्मा यूरोप के कल्चर को नज़दीक से देखते हैं। निर्मल वर्मा को पढ़ते हुए आपको एक नई दृष्टि या वर्ल्ड व्यू  मिलता है।

निर्मल वर्मा को आप पढ़ेंगे तो देखेंगे कि वो अपने आस-पास के लोगों को कितनी गहराई से ओबजर्व करते हैं और उनकी उदासियों के दरवाज़े पर दस्तक दे आते हैं

ऐसी बहुत से अवलोकन आपको निर्मल वर्मा की राइटिंग्स में मिलेंगी। अगर आप कुछ फ़ास्ट पेस्ड, चुटीला पढ़ना चाहते हैं तो पहले ही बता दूँ निर्मल वर्मा आपको पसंद नहीं आएँगी। लेकिन अगर आप किसी घने पहाड़ी जंगल में बने घर की बालकनी से सामने होती बारिश की बूँदों को देर तक थिरकते देखना पसंद करते हैं तो निर्मल की यह किताब आपको पसंद आएगी।

क़िताब ट्रेवलॉग के फ़ॉर्म को भी कई बार तोड़ती है, कहीं निबंध हो जाती है, कहीं इंटरव्यू तो कहीं कविता सी बहने लगती है।

 

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5. मेरी यात्राएँ – रामधारी सिंह दिनकर

Ramdhari singh Dinkarरामधारी सिंह दिनकर की ये क़िताब आई है लोकभारती प्रकाशन से। रश्मिरथी,ऊर्वशी, कुरुक्षेत्र जैसे मास्टरपीस लिखने वाले रामधारी सिंह दिनकर को कौन नहीं जानता। लेकिन यह कम लोग़ जानते हैं कि उन्होंने यात्रा वृत्तांत भी लिखे।

अपने इस यात्रा वृत्तांत में दिनकर ज़ी अपनी लंदन, यूरोप, पीकिंग, शंघाई, थैंचिंग, नांकिंग, मौरिशस, कीनिया जैसी जगहों की यात्राओं के क़िस्से बताते हैं।  दिनकर एक राजनैतिक पहुँच वाले व्यक्ति हैं और वो सरकारी खर्चे पर विदेश यात्रा करने जा रहे हैं। क़िताब के पहले पन्ने पर लिखी बातें पढ़ने पर ही अंदाज़ा हो जाता है कि अपनी पहली विदेश यात्रा को लेकर वो थोड़ा असहज हैं, लेकिन उत्साहित भी खूब हैं।

अपनी मारिशश की यात्रा पर लिखते हुए दिनकर ज़ी एक बहुत ही ज़रूरी बात कहते हैं। दिनकर ज़ी के हवाले से कही जा रही इस बात को समझना आज की तारीख़ में बहुत ही ज़रूरी हो गया है। तब और भी ज़रूरी जब राजनीति में धर्म का ज़बरदस्त घालमेल हो गया। ऐसे में हम अपने राष्ट्रकवि की बात सुनेंगे तो और किसकी बात सुनेंगे

तो ये थी वो पाँच किताबें जो हिंदुस्तानी लेखकों ने अपनी विदेश यात्रा पर लिखी।

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