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प्रकृति ने दुनिया में ढेर सारे रंग भरे हैं, लेकिन जब आप यात्रा करते हैं तो समझ आता है कि इन रंगों को और निखारने में इंसानी दिमाग़ की भी कम अहमियत नहीं है. यूरोप के दो अलग-अलग हिस्सों में आज की अपनी इस यात्रा में हम प्रकृति के ख़ूबसूरत रंग देखने वाले थे और वो रंग भी जो इंसानी ज़हन ने इस दुनिया में भरे हैं. ये दो शानदार जगहें हैं राइन फ़ॉल (Rhine Falls) और स्वरोस्की क्रिस्टल वर्ल्ड (Swarovski Crystal World).
राइन फ़ाल (Rhine Falls)
सुबह-सुबह हमने ज्यूरिख़ के अपने होटल में नाश्ता किया और फिर हम निकल पड़े आज के सफ़र पर. इस यात्रा का अगला पड़ाव था राइन फ़ॉल.
ज्यूरिख़ से बस 45 मिनट के सफ़र के बाद हम आ गए यूरोप के इस सबसे बड़े वॉटरफ़ॉल के पास जो ऑस्ट्रिया और जर्मनी के बॉर्डर पर था. टिकिट काउंटर से हमने सात स्विस फ़्रेंक यानी क़रीब 500 रुपए की टिकिट ख़रीदी. ये टिकिट राइन फ़ॉल के एकदम क़रीब से गुज़रकर उसे निहारने के लिए, यानी राइन नदी पर बोट राइड के लिए थी. कई रंग-बिरंगी मोटर बोट राइन नदी पर पर्यटकों को सैर करा रही थी, इन्हीं में से एक के लिए हमें अपनी बारी का इंतज़ार करना था. इस बीच मुझे कुछ तस्वीरें खींचने का वक़्त मिल गया. एक तरफ़ शांति से बहती नदी थी दो दूसरी तरफ़ गर्ज़ना करता हुआ यूरोप का सबसे बड़ा झरना.
थोड़े से इंतज़ार के बाद हमारी बारी आ गयी और हम बोट में सवार हो गए. जैसे-जैसे हमारी बोट राइन फ़ॉल के क़रीब जा रही थी पानी की गरजती आवाज़ के साथ धड़कनें भी तेज़ी से बढ़ती जा रही थी. थोड़ी देर बाद हम फ़ॉल से गिरते पानी के छींटों को अपने ऊपर महसूस कर पा रहे थे. राइन फ़ॉल को अपनी आँखों के इतने क़रीब पाकर हल्का सा डर और ढेर सारा रोमांच ज़ेहन पर तारी हो गया था.
150 मीटर चौड़े और 23 मीटर ऊँचे इस झरने से पानी एक सेकंड में 30 मीटर तक नीचे गिर जाता है. तो इसकी रफ़्तार का अंदाज़ा आप खुद ही लगा सकते हैं.
वैसे राइन फ़ॉल के बनने की कहानी भी बहुत रोचक है. ये झरना दूसरी आइस एज के दौरान हुए टेक्टोनिक शिफ़्ट की वजह से बना था. यानी क़रीब 15 हज़ार साल पहले धरती के अंदर की प्लेट्स में हुई उथल-पुथल का नतीजा है ये फ़ॉल.
बेहद क़रीब से इसके रोमांच का अनुभव करने के लिए फ़ॉल के ऊपर दो प्लैटफ़ॉर्म भी बनाए गए हैं. जहां खड़े होकर एकदम झरने के बीच में होने का अहसास होता है. क़रीब बीस मिनट हम इस बोट पर बैठे फ़ॉल के चक्कर लगाते रहे और अब बारी थी उन लोगों का जो हमारे बाद अपनी राइड का इंतज़ार कर रहे थे.
स्वरोस्की क्रिस्टल वर्ल्ड (Swarovski Crystal World)
क़रीब 12 बजे हम अपने अगले पड़ाव यानी ऑस्ट्रिया (Austria) के एक छोटे से शहर वाटन्स की तरफ़ निकल गए. रास्ते में हमने लाइकिंस्टाइन (Likinstein) के शहर वादूस (vaduz) को पार किया जो यूरोप का चौथा सबसे छोटा देश है.
क़रीब साढ़े तीन घंटे के सफ़र के बाद हम आ गए यूरोप की एक बहुत ही खूबसूरत और चमकदार दुनिया, यानी मशहूर स्वरोस्की क्रिस्टल वर्ल्ड (Swarovski Crystal World)में. क्रिस्टल और उससे बनी जूलरी को बनाने वाली एक मशहूर कंपनी के 100 साल पूरे होने पर इस क्रिस्टल वर्ल्ड को बनाया गया था.
इस म्यूज़ियम की थीम का आइडिया एंड्रू हेलर नाम के शख़्स का था. म्यूज़ियम के बाहर एक चट्टान पर घास की बनी विशान आकृति नज़र आ रही थी. इसे जायांट कहा जाता है. जायांट की यह आकृति हेलर की थीम का सेंटरपीस है और आइडिया ये है कि ये जायांट दुनिया के ख़ज़ानों और आश्चर्यों को देखने के लिए दुनिया की सैर पर निकला और उन्हें देखने के बाद वो वाटंस की इस जगह पर आकर रहने लगा.
एंट्री गेट से टिकिट लेकर जैसे ही हम अंदर आए हम अजूबों भरी जादुई दुनिया में थे. यहां 17 अलग-अलग प्रदर्शनी बनाई गई हैं जिन्हें ‘चैम्बर्स ऑफ़ वंडर’ कहा जाता है. खास तरह से डिज़ाइन किए गए इन हॉल्स में दुनिया के मशहूर कलाकारों, डिज़ाइनरों और आर्किटेक्स ने स्वरोस्की के क्रिस्टल की अपनी-अपनी तरह से व्याख्या की है.
सबसे पहले हम जिस हॉल में आए उसे ‘ब्लू हॉल’ कहा जाता है. यहां दुनिया का सबसे बड़ा, हाथों से काटा और तराशा गया क्रिस्टल रखा हुआ था जिसकी चमक आँखों को चौंधिया रही थी. इस हॉल में मशहूर आर्टिस्ट सल्वाडोर डॉली की पेंटिंग भी थी.
दूसरा चैम्बर ऑफ़ वंडर था मैकेनिकल थिएटर. इसके बाद हम आ गए क्रिस्टल डोम में. इसकी खास बात यह है कि इसे बनाने में क़रीब 8 लाख क्रिस्टल्स का इस्तेमाल हुआ है. इसके आगे एक चमकदार क्रिस्टल ट्री भी था.
वहां से आगे बढ़े तो हम आ गए ‘इंटू दी लेटिस सन’ नाम के चैम्बर ऑफ़ वंडर में. लेटिस डिज़ाइन एक खास तरह का डिज़ाइन होता है. इसके बाद हम जिस चैम्बर में थे वो एक भारतीय होने के नाते हमारे लिए बड़ा खास था. ‘पैलेस ऑफ़ लव’ नाम के रंग-बिरंगे चैम्बर को डिज़ाइन किया है मशहूर भारतीय डिज़ाइनर मनीष अरोड़ा ने. यहां भारत के किसी महल का अहसास कराते हुए प्यार का संदेश देने की कोशिश की गई है.

इसके बाद हमने जैसे ही एक चमकदार लॉबी में क़दम रखे वहां ज़मीन पर क्रिस्टल के आकार उभरने लगे. ये चैम्बर था आइस पैसेज. अगर कभी आप शीशे की तरह जमी हुई बर्फ़ पर चले हों तो चलने पर वह जिस तरह से टूटने लगती है ठीक वैसे ही आइस पैसेज नाम के इस गलियारे में चलने पर भी लग रहा था.

इसके बाद हम जिस चैम्बर में पहुँचे उसे डिज़ाइन किया था स्टूडियो जॉब नाम की कम्पनी ने. स्टूडियो जॉब मोनुमेन्टलिजम यानी कि बड़े आकार की इमारतों को बनाने के लिए मशहूर है. उनके बनाए आर्ट वर्क से आपको उनके काम की झलक मिल जाती है.
यहां से निकले तो एक बार फिर प्राउड इंडियन वाला अहसास हुआ जब हमें दिखा क्रिस्टल का बना हुआ ताज महल. इसके अलावा गीजा के पिरामिड और न्यूयॉर्क की एंपायर स्टेट बिल्डिंग के आर्ट वर्क भी थे जिन्हें स्वरोस्की के खास क्रिस्टल से बनाया गया था.

आगे था ‘एल सोल’ नाम का आर्ट वर्क. स्पेनिश के शब्द सोल का मतलब होता है सूर्य. सूर्य से इंसानों के रिश्तों की थीम पर बनाये गए इस आर्ट वर्क में लगे क्रिस्टल्स को खास डिज़ाइन में काटा गया है।

इस तरह के कई तरह के नायाब आर्ट वर्क से गुज़रते यूरोप की रईसी और कला को लेकर उनके समर्पण, दोनों का अहसास हो रहा था. अब हम आ गए स्वरोस्की के दुनिया के सबसे बड़े स्टोर में.
आप भी यहां आएं तो अपने चहेतों के लिए कुछ खास ख़रीदना न भूलें. 6 यूरो यानी भारतीय रुपयों के हिसाब से 500 रुपए से भी कम की क़ीमत पर भी आपको स्वरोस्की क्रिस्टल की बनी चीज़ें यहां मिल जाती हैं. इस शुरुआती क़ीमत से ऊपर फिर आप जितनी भी जेब ढीली करना चाहें वो आप पर है.

ख़ैर इस जगमगाती दुनिया से अब निकलने का वक़्त था. शाम होने लगी थी और हम निकल पड़ आस्ट्रिया का थोड़ा और जायज़ा लेने. थोड़ी देर में हम इंसब्रुक की ओल्ड सिटी में थे. शानदार यूरोपीय स्थापत्य कला का एक नमूना हमारे सामने था.
इस तरह यह दिन रहा यूरोप की प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ यहां के आर्किटेक्चर और कला को निहारने और उसे सराहने के नाम.
राइन फ़ॉल और स्वरोस्की क्रिस्टलल कैसे पहुँचें
स्विट्ज़रलैंड के मुख्य शहर ज्यूरिख़ से बस या टैक्सी लेकर आप ऑस्ट्रिया और जर्मनी के बॉर्डर पर बने राइन फ़ॉल तक आ सकते हैं. यहां पहुँचने में 45 मिनट लगते हैं. राइन फ़ॉल से ऑस्ट्रिया के वाटंस में बने म्यूज़ियम तक पहुँचने में 3 घंटे का समय लगता है. क्रिस्टल वर्ल्ड घूमने के बाद आप इंस्ब्रुक के खूबसूरत ओल्ड सिटी में शाम बिता सकते हैं.
यह भी जान लें
राइन फ़ॉल के बारे में खास बातें
-150 मीटर चौड़ा और 23 मीटरऊंचा है यूरोप का सबसे बड़ा झरना
-1 सेकंड में 30 मीटर तक नीचे गिर जाता है यहां पानी
-15 हज़ार साल पहले धरती के अंदर की प्लेट्स में हुई उथल-पुथल का नतीजा है ये फ़ॉल
स्वरोस्की क्रिस्टल वर्ल्ड की ख़ासियत
- 1995 में बनाया गया यह नायाब संग्रहालय साढ़े सात हेक्टेयर में फैला है
- 8 लाख क्रिस्टल से बना क्रिस्टल क्लाउड भी है मुख्य आकर्षण
इस यात्रा पर मेरा व्लॉग यहां देखें (Travel video On Swarovski crystal worlds)