दक्षिण भारत में पर्यटन के लिहाज़ से छिपे हुए ख़ज़ानों की बात की जाए तो उनमें तमिलनाडु के कन्याकुमारी ज़िले में स्थित पद्मनाभपुरम (Padmanabhapuram palace) बेहद ख़ास है।
क़रीब साढ़े छह एकड़ में फ़ैला यह महल एक विशाल दुर्ग परिसर का हिस्सा है और संभवतः एशिया का सबसे बड़ा महल है जो कमोवेश पूरी तरह लकड़ी का बना है।
दक्षिण भारत के तमिल नाडु की वेलीमलाई (वेली पहाड़ियों) की तलहटी पर बसे इस महल में प्रवेश करते ही ऐसा महसूस होता है जैसे आप समय में कहीं पीछे लौट आए हों।
केरल की पारंपरिक भवननिर्माण शैली की झांकी पेश करने वाले इस महल परिसर में चौदह अलग-अलग इमारतें हैं जिन्हें भली भाँति देखने के लिए आपको अच्छा ख़ासा समय लेकर यहाँ आना होगा।
पद्मनाभपुरम महल का इतिहास

अपने भित्तिचित्रों और बेहद महीन काष्ठकला के लिए मशहूर इस अनूठे महल का इतिहास त्रावणकोर साम्राज्य से जुड़ा है। यह महल 1601 में बनाया गया और फिर 1750 में इसका जीर्णोद्धार किया गया। लेकिन त्रावणकोर साम्राज्य की राजधानी तिरुअनंतपुरम में स्थानांतरित हो जाने की वजह से बाद में इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया। मौजूदा समय में यह महल केरल सरकार के संरक्षण में हैं जहां जाकर पर्यटक इसकी अद्भुत स्थापत्यकला का दीदार कर सकते हैं।
पद्मनाभपुरम महल की बनावट
पूमुखम
महल में प्रवेश करते ही सामने मुख्य द्वार नज़र आता है जिसपर की गई नक़्क़ाशी देखकर उससे नज़रें हटाना मुश्किल हो जाता है। इसके दरवाज़ों और छतों को गौर से देखने पर आप पाएँगे कि लकड़ी पर बेहद महीन नक़्क़ाशी करके सैकड़ों आकृतियाँ बनाई गई हैं। भीतर प्रवेश करते ही आपको चीनी व्यापारियों द्वारा राजा को उपहार में दी गई कुर्सी, ग्रेनाइड की बनी एक चारपाई और एक घुड़सवार की आकृति में बनाए गए हैंगिंग लैम्प सरीखी, शाही परिवार से सबंधित कई अनोखी चीज़ें देखने को मिलेंगी।
मंत्रशाला
यहाँ से संकरी सीढ़ियों के ज़रिए आप महल के प्रथम तल में प्रवेश करते हैं। इस जगह पर मंत्रिमंडल की बैठक हुआ करती थी। इस कक्ष की ख़ास बनावट के चलते यहाँ धूल का एक कण भी प्रवेश नहीं कर पाता और बाहर भीषण गर्मी के बावजूद इस कक्ष का फ़र्श एकदम ठंडा रहता है।
कुट्टूपुरा
यहाँ से आगे बढ़ने पर आप कुट्टूपुरा या भोजनालय में प्रवेश करते हैं। इस दुमंज़िला विशाल कक्ष में क़रीब दो हज़ार लोग एक साथ बैठकर खाना खा सकते थे और यह ज़रूरतमंदों के लिए सालभर खुला रहता था।
थाईकोट्टरम
यहाँ से आगे थाईकोट्टरम नाम की जगह इस महल की सबसे पुरानी जगहों में से एक है। इस कक्ष में लकड़ी पर की गई नक़्क़ाशी सम्भवतः इस महल की सबसे सुंदर नक़्क़ाशियों में से है। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि यहाँ से एक ख़ूफ़िया रास्ता करीब एक किलोमीटर दूर मौजूद दूसरे महल पर खुलता था और युद्ध के दौरान इसी रास्ते से महल को ख़ाली करवाया जाता था।