Padmanabhapuram Palce

तमिल नाडु का पद्मनाभपुरम है एशिया का सबसे बड़ा वुडन पैलेस

(Last Updated On: June 16, 2023)

दक्षिण भारत में पर्यटन के लिहाज़ से छिपे हुए ख़ज़ानों की बात की जाए तो उनमें तमिल नाडु के कन्याकुमारी ज़िले में स्थित पद्मनाभपुरम (Padmanabhapuram palace Tamil Nadu) बेहद ख़ास है।

क़रीब साढ़े छह एकड़ में फ़ैला यह महल एक विशाल दुर्ग परिसर का हिस्सा है और संभवतः एशिया का सबसे बड़ा महल है जो कमोवेश पूरी तरह लकड़ी का बना है।

दक्षिण भारत के तमिल नाडु की वेलीमलाई (वेली पहाड़ियों) की तलहटी पर बसे इस महल में प्रवेश करते ही ऐसा महसूस होता है जैसे आप समय में कहीं पीछे लौट आए हों।

केरल की पारंपरिक भवननिर्माण शैली की झांकी पेश करने वाले इस महल परिसर में चौदह अलग-अलग इमारतें हैं जिन्हें भली भाँति देखने के लिए आपको अच्छा ख़ासा समय लेकर यहाँ आना होगा। 

 

पद्मनाभपुरम महल का इतिहास (History of Padmanabhapurm)

Padmanabhapuram Palace Tamil Nadu 2
Padmanabhapuram palace Tamil Nadu 2

 

अपने भित्तिचित्रों और बेहद महीन काष्ठकला के लिए मशहूर इस अनूठे महल का इतिहास त्रावणकोर साम्राज्य से जुड़ा है। यह महल 1601 में बनाया गया और फिर 1750 में इसका जीर्णोद्धार किया गया। लेकिन त्रावणकोर साम्राज्य की राजधानी तिरुअनंतपुरम में स्थानांतरित हो जाने की वजह से बाद में इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया।

मौजूदा समय में यह महल केरल सरकार के संरक्षण में हैं जहां जाकर पर्यटक इसकी अद्भुत स्थापत्यकला का दीदार कर सकते हैं।

 

पद्मनाभपुरम महल की बनावट (Padmanabhapuram Palace architecture) 

  • पूमुखम 

तमिल नाडु के पद्मनाभपुरम महल में प्रवेश करते ही सामने मुख्य द्वार नज़र आता है जिसपर की गई नक़्क़ाशी देखकर उससे नज़रें हटाना मुश्किल हो जाता है। इसके दरवाज़ों और छतों को गौर से देखने पर आप पाएँगे कि लकड़ी पर बेहद महीन नक़्क़ाशी करके सैकड़ों आकृतियाँ बनाई गई हैं।

भीतर प्रवेश करते ही आपको चीनी व्यापारियों द्वारा राजा को उपहार में दी गई कुर्सी, ग्रेनाइड की बनी एक चारपाई और एक घुड़सवार की आकृति में बनाए गए हैंगिंग लैम्प सरीखी, शाही परिवार से सबंधित कई अनोखी चीज़ें देखने को मिलेंगी।  

  • मंत्रशाला 

यहाँ से संकरी सीढ़ियों के ज़रिए आप महल के प्रथम तल में प्रवेश करते हैं। इस जगह पर मंत्रिमंडल की बैठक हुआ करती थी। इस कक्ष की ख़ास बनावट के चलते यहाँ धूल का एक कण भी प्रवेश नहीं कर पाता और बाहर भीषण गर्मी के बावजूद इस कक्ष का फ़र्श एकदम ठंडा रहता है। 

  • कुट्टूपुरा

यहाँ से आगे बढ़ने पर आप कुट्टूपुरा या भोजनालय में प्रवेश करते हैं। इस दुमंज़िला विशाल कक्ष में क़रीब दो हज़ार लोग एक साथ बैठकर खाना खा सकते थे और यह ज़रूरतमंदों के लिए सालभर खुला रहता था।  

  • थाईकोट्टरम

यहाँ से आगे थाईकोट्टरम नाम की जगह इस महल की सबसे पुरानी जगहों में से एक है। इस कक्ष में लकड़ी पर की गई नक़्क़ाशी सम्भवतः इस महल की सबसे सुंदर नक़्क़ाशियों में से है। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि यहाँ से एक ख़ूफ़िया रास्ता करीब एक किलोमीटर दूर मौजूद दूसरे महल पर खुलता था और युद्ध के दौरान इसी रास्ते से महल को ख़ाली करवाया जाता था। 

  • रानी का महल 

 

आगे बढ़ने पर आपको राजा की माता के लिए बनाया गया कक्ष देखने को मिलता है। यहाँ मौजूद एक ख़ास चारपाई को कई औषधीय पेड़ों के तनों की लकड़ी से बनाया गया था जो अपने में अनूठी बात है।

यहाँ से आगे एक संकरी गली नुमा संरचना देखने को मिलती है जहां झरोखे भी बने हैं यह जगह शस्त्रशाला के रूप में इस्तेमाल होती थी और झरोखों से शत्रुओं की गतिविधि पर नज़र रखी जाती थी।

  • अंबारी मुखपू

आगे अंबारी मुखपू नाम के स्थान पर आप शानदार खिड़कियाँ देख सकते हैं। लकड़ी के खूबसूरत काम वाली इन आलीशान खिड़कियों से महल की रानियां रथयात्राओं और झांकियों का आनंद लेती थी। 

  • थेक्के कोटरम और नवरात्रि मंडपम

Padmanabhapuram Palace 2
Padmanabhapuram Palace Tammilnadu 2

महल के अगले हिस्सों में थेक्के कोटरम नाम का प्रदर्शनी कक्ष है जहां दैनिक उपयोग की चीजों की प्रदर्शनी लगाई गई है। नवरात्रि मंडपम नाम की एक शानदार जगह है जहां ग्रेनाइड पत्थर पर की गई कारीगरी मन मोह लेती है। इस स्थान का फ़र्श इतने बेहतरीन तरीके से बनाया गया है कि यहाँ प्रदर्शन करने वाले कलाकारों के प्रतिबिम्ब उसपर देखे जा सकते थे। 

इन ख़ास जगहों के अलावा इस महल में करीब तीन सौ साल पुराना एक क्लॉकटावर भी है जो आज भी सही वक्त बताता है।


पद्मनाभपुरम महल कैसे पहुँचें (How to reach Padmanabhapuram Palce)

नज़दीकी हवाई अड्डा त्रिवेंद्रम में है जो यहाँ से क़रीब साठ किलोमीटर की दूरी पर है। रेल मार्ग से आना चाहें तो आप सीधे नागरकोइल तक आ सकते हैं जहां से आप आधे घंटे में महल तक आ सकते हैं।

कन्याकुमारी, त्रिवेंद्रम और नागरकोइल जैसी करीबी जगहें सड़क परिवहन से अच्छे से जुड़ी हैं जहां से टैक्सी लेकर आप महल देखने आ सकते हैं। 

 


पद्मनाभपुरम महल कब जाएँ (Best time to visit Padmanabhapuram Palace)

सर्दियों का समय दक्षिण भारत के इलाक़ों की यात्रा के लिए सबसे मुफ़ीद है। आप अक्टूबर से फ़रवरी के बीच कभी भी यहाँ आ सकते हैं।  

कन्याकुमारी से पद्मनाभपुरम (Kanyakumari to Padmanabhapuram) पहुँचने में करीब एक घंटे का समय लगता है। आप चाहें तो इस महल को देखने के बाद कुछ ही दूरी पर बने तिरूपरप्पू वॉटरफ़ाल भी जा सकते हैं।

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उमेश पंत

उमेश पंत यात्राकार के संस्थापक-सम्पादक हैं। यात्रा वृत्तांत 'इनरलाइन पास' और 'दूर दुर्गम दुरुस्त' के लेखक हैं। रेडियो के लिए कई कहानियां लिख चुके हैं। पत्रकार भी रहे हैं। और घुमक्कड़ी उनकी रगों में बसती है।

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