Thirparappu waterfalls in Kanyakumari

कन्याकुमारी के तिरपरप्पु वॉटरफ़ॉल में यह है ख़ास

अगर आपका प्रकृति के बीच परिवार के साथ मौज-मस्ती करने का मन हो तो दक्षिण भारत के कन्याकुमारी ज़िले में मौजूद तिरपरप्पु वॉटरफ़ॉल ( thirparappu waterfalls Kanyakumari ) आपके लिए एक बेहतरीन ठिकाना साबित हो सकती है।

तमिलनाडु और केरल की सीमा के एकदम क़रीब कुलशेखर नाम के गाँव से लगा यह झरना पर्यटकों के बीच बेहद मशहूर है तो इसकी अपनी मुकम्मल वजहें हैं। यहाँ आकर न केवल झरने में नहाने का मज़ा ले सकते हैं बल्कि इस पूरे परिसर में बने तालाब, पार्क और उद्यानों की ख़ूबसूरती के बीच आप यहाँ बच्चों के साथ दिनभर पिकनिक भी मना सकते हैं। 

कोडयार नदी से निकलता है झरना 

स्थानीय भाषा में कुमारी कुत्रालम नाम से मशहूर, कोडयार नदी से निकलने वाले इस झरने का प्रवाह और विस्तार दूर से ही आकर्षित करने लगता है। जब आप कुछ आगे बढ़ते हैं तो क़रीब पचास फ़ीट की ऊँचाई से गिरने वाले इस झरने की फुहारें दूर से ही आप महसूस कर सकते हैं।

झरने की चौड़ाई क़रीब तीन सौ फ़ीट है जिसकी तलहटी में नहाकर इसके तेज़ प्रवाह से पैदा होने वाले रोमांच को आप खुद महसूस कर सकते हैं। हवा के रुख़ के हिसाब से यह प्रवाह इतना तेज़ होता है कि कई बार पानी के नीचे खड़े रहना मुश्किल हो जाता है।

यहाँ तमिलनाडु सरकार की तरफ़ से लोहे के रॉड लगाकर झरने के निचले हिस्से को दो भागों में बाँटा गया है ताकि पुरुष और महिलाएं अपने लिए तय अलग-अलग हिस्सों में झरने का आनंद ले सकें। महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज़ से यह एक अच्छा इंतज़ाम कहा जा सकता है। 

बेहतरीन पिकनिक स्पॉट  

Thirparappu waterfalls timing
Thirparappu waterfalls in Kanyakumari

अच्छी बात यह है कि तिरपरप्पु वॉटरफ़ॉल ( thirparappu waterfalls Kanyakumari ) को एक पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने के लिए भरपूर इंतज़ाम किए गए हैं।

यहाँ एक ओर क़रीने से सजाए गए हरे-भरे उद्यान बनाए गए है तो बच्चों के खेलने के लिए झूले आदि से युक्त पार्क भी हैं। अब इस परिसर में एक ताल का निर्माण भी किया गया है जहां आप बच्चों के साथ तैराकी का आनंद भी ले सकते हैं। 

महादेवर कोविल मंदिर 

झरने के प्रवेश बिंदु के क़रीब एक शिव मंदिर भी बना हुआ है। इस मंदिर की स्थानीय लोगों में बड़ी मान्यता है और इसके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग यहाँ आते हैं। बताया जाता है कि यह मंदिर क़रीब दो हज़ार साल पुराना है जिसे चोल वंश के शासक राजराजा चोल ने बनवाया था।

दक्षिण के बारह शिवालयों में से इसे तीसरे स्थान पर माना जाता है इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है। मान्यता है कि सती देवी की मृत्यु के बाद उग्र हुए भगवान शिव ने दक्ष प्रजापति की हत्या करने के लिए वीरभद्र रूप में यहाँ दर्शन दिए थे। मंदिर में नौवीं शताब्दी के शिलालेख भी देखे जा सकते हैं। 

बोटिंग का आनंद 

तिरपरप्पु के इलाके में बोटिंग अपने में एक ख़ास अनुभव है। आप चाहें तो यहाँ आप किराए पर पैडल बोट ले सकते हैं और फिर निकल सकते हैं जंगलों में बहती धारा पर नौकायन का आनंद लेने। सघन हरियाली के बीच नाव चलाते हुए प्रकृति की सुंदरता को आप और गहराई से अनुभव कर पाएँगे।

आमतौर पर यह धारा बेहद शांत रहती है इसलिए यहाँ बोटिंग बहुत सुरक्षित भी है। हालांकि बरसात ज़्यादा होने पर इसकी उग्रता भी देखने लायक होती है। 

तिरपरप्पु वॉटरफ़ॉल कब जाएँ 

Best time too visit thirparappu waterfalls

सर्दियों का समय यहाँ जाने के लिए सबसे मुफ़ीद रहता है। वैसे साल के सात महीनों तक यह झरना अपने उफान पर रहता है। आप चाहें तो दक्षिण भारत के कन्याकुमारी सरीखे मशहूर पर्यटक स्थलों के साथ यहाँ की यात्रा को अपनी योजना में शामिल कर सकते हैं।

सुबह सात बजे से शाम के पाँच बजे तक पर्यटकों के लिए खुले रहने वाले इस झरने में प्रवेश शुल्क देकर आप एक बेहतरीन दिन गुज़ार सकते हैं। 

तिरपरप्पु वॉटरफ़ॉल कैसे पहुँचें

How to reach thirparappu waterfalls

तिरपरप्पु कन्याकुमारी से क़रीब पचास किलोमीटर की दूरी पर है। नज़दीकी हवाई अड्डा त्रिवेंद्रम में है जो यहाँ से क़रीब साठ किलोमीटर की दूरी पर है।

रेल मार्ग से आना चाहें तो आप सीधे नागरकोइल तक आ सकते हैं जहां से आप आधे घंटे में झरने तक आ सकते हैं।

कन्याकुमारी, त्रिवेंद्रम और नागरकोइल जैसी करीबी जगहें सड़क परिवहन से अच्छे से जुड़ी हैं जहां से टैक्सी  या बस लेकर आप यहाँ पहुँच सकते हैं।

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उमेश पंत

उमेश पंत यात्राकार के संस्थापक-सम्पादक हैं। यात्रा वृत्तांत 'इनरलाइन पास' और 'दूर दुर्गम दुरुस्त' के लेखक हैं। रेडियो के लिए कई कहानियां लिख चुके हैं। पत्रकार भी रहे हैं। और घुमक्कड़ी उनकी रगों में बसती है।

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