सारनाथ (Sarnath temple Varanasi) घूमने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के घाटों पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भारी भीड़ से निकलकर यहाँ आप कुछ देर शांति के पल बिता सकते हैं।
भारत ही नहीं बल्कि विदेशों के बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सारनाथ विशेष अहमियत रखता है क्योंकि कहा जाता है कि बोध गया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद गौतम बुद्ध ने पहली बार यहीं अपने उपदेश दिए थे।
यह प्राचीनतम नगर सम्राट अशोक के शासन काल में काफ़ी फला-फूला। इसके अलावा गुप्त वंश और हर्षवर्धन के शासन के दौरान भी यह जगह बहत खुशहाल रही।
बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक विरासत के बारे में जानने के साथ-साथ अगर पुराने समय के स्थापत्य में आपकी रुचि हो तो आपको बौद्ध धर्म के चार सबसे पवित्र स्थलों में से एक सारनाथ ज़रूर आना चाहिए।
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वाराणसी के सारनाथ में घूमने की जगहें (Places to visit in Sarnath Varanasi)
धमेक स्तूप
यह सारनाथ का सबसे आकर्षक स्तूप है जो आपको दूर से ही नज़र आ जाता है। मृगविहार उद्यान में मौजूद तमाम खंडहरों के बीच बने इस स्तूप का विशेष ऐतिहासिक महत्व है। गौतम बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के बाद दिए गए पहले उपदेशों की यादगारी में इस स्तूप का निर्माण करवाया गया। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से इस स्तूप का निर्माणकार्य शुरू हुआ और इसे कई चरणों में बनाया गया।
इसकी बाहरी दीवारों में करीब ग्यारह मीटर की ऊँचाई तक आप पत्थरों पर गुप्त वंश के दौरान उकेरी गई नक़्क़ाशी देख सकते हैं। करीब 41 मीटर ऊँचा यह स्तूप अलग-अलग कालखंडों में हुए बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार की कहानी बयां करता है।
चौखंडी स्तूप
लाल पत्थरों से बना यह सीढ़ीदार स्तूप बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से है। कहा जाता है कि यही वो जगह है जहां गौतम बुद्ध ने अपने पाँच शिष्यों को बौद्ध धर्म के उपदेश दिए जिसे उन्होंने पूरी दुनिया में फैलाया। कहा जाता है कि यह स्तूप गुप्त काल के दौरान बनाया गया था।
इसके दरवाज़े पर फ़ारसी भाषा में लिखे गए शिलालेख भी देखे जा सकते हैं।
अशोक स्तंभ
सम्राट अशोक ने अपने शासन के दौरान देशभर में कई स्तम्भों का निर्माण किया। इनमें से एक स्तंभ के अवशेष आज भी सारनाथ में मौजूद हैं। शीर्ष पर चार शेर वाला यह स्तम्भ भारत का राष्ट्रीय चिह्न भी है।
यही वो स्तम्भ है जिसके निचले भाग में मौजूद चक्र को भारत के राष्ट्रीय ध्वज में शामिल किया गया है। इस स्तम्भ की ऊँचाई मूल रूप से करीब 55 फूट थी लेकिन सारनाथ में मौजूद स्तम्भ अब क्षतिग्रस्त हो चुका है और करीब आठ फूट का ही रह गया है। स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि में लिखे गए लेख आज भी देखे जा सकते हैं।
मूलगंध कुटी विहार मंदिर
सारनाथ (Sarnath temple Varanasi) में मौजूद यह मंदिर ख़ासकर बौद्ध धर्मावलम्बियों के बीच बहुत लोकप्रिय है। कहा जाता है कि श्रीलंका के अनागारी धर्मपाल नामक व्यक्ति ने 1931 में इस प्राचीन मंदिर को बनवाया था इसलिए इसे श्रीलंका मंदिर भी कहा जाता है। धर्मपाल की मूर्ति भी इस मंदिर प्रांगण में मौजूद है।
मंदिर के बाहर मूल बोधि वृक्ष की कटिंग या शाखा से उगाया गया बोधि वृक्ष भी है जिसके नीचे बुद्ध के पाँच शिष्यों की मूर्तियाँ भी बनाई गई हैं।इस बात को याद दिलाती बुद्ध की सुनहरे रंग की प्रतिमा मंदिर के भीतर देखी जा सकती है।
इस मंदिर की ख़ास बात यह है कि जापान के मशहूर पेंटर कोसेत्सू नोसू ने इस मंदिर में कई भित्तिचित्र बनाए हैं। मंदिर के बाहर एक विशाल घंटी भी है जिसे जापान के शाही परिवारों ने भेंट किया था
मूलगंध कुटी विहार के खंडहर मृग विहार में देखे जा सकते हैं। माना जाता है इस जगह पर पहली बार गौतम बुद्ध ने वर्षा ऋतु देखी थी।
संग्रहालय
सारनाथ में मौजूद संग्रहालय में आपको बौद्ध धर्म से जुड़ी प्राचीनतम चीज़ों का अनूठा संग्रह देखने को मिलेगा। यहाँ अलग-अलग कालखंड में बनाई गई गौतम बुद्ध की छः हज़ार से भी ज़्यादा प्रतिमाएँ हैं।
सारनाथ की खुदाई में मिले अवशेषों को सहेजकर रखने के मक़सद से बने इस संग्रहालय में पाँच गैलरी और दो बारामदे हैं जहां तीसरी शताब्दी से लेकर बारहवीं शताब्दी तक की बौद्ध धर्म से जुड़ी ऐतिहासिक विरासतें आप देख सकते हैं। 1910 में बना यह संग्रहालय भारतीय पुरातत्व विभाग के सबसे पुराने संग्रहालयों में से है जो खुदाई की जगह पर ही मौजूद है।
अगर आप सारनाथ जाएं तो इन जगहों के अलावा तिब्बती मंदिर, थाई मंदिर और जैन धर्म से जुड़े पवित्र स्थल भी आप घूम सकते हैं।
सारनाथ कब जाएँ (Best time to visit Sarnath temple Varanasi)
अक्टूबर से मार्च के बीच आप यहाँ कभी भी जा सकते हैं। यहाँ के त्यौहारों की चहल-पहल देखना चाहें तो मई में होने वाले बुद्ध पूर्णिमा और फ़रवरी-मार्च में होने वाले महा शिवरात्रि के कार्यक्रमों में आपको ज़रूर शरीक़ होना चाहिए।
सारनाथ कैसे पहुँचें (How to reach Sarnath temple Varanasi)
वाराणसी तक आप हवाई जहाज़ से आ सकते हैं जहाँ से सारनाथ की दूरी महज़ पंद्रह मिनटों की है। सारनाथ में रेलवे स्टेशन भी है जो वाराणसी और गोरखपुर के रेलवे स्टेशनों से लोकल लाइन के ज़रिए जुड़ा है। बस के ज़रिए आप बड़े शहरों से वाराणसी पहुँचकर केवल बारह किलोमीटर का सफ़र और तय करके सारनाथ पहुँच सकते हैं।