शोर-शराबे से दूर समुद्री किनारों का शांत जीवन अगर आपको आकर्षित करता है तो अलीबाग और उसके करीबी समुद्री तट आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं।
अरब सागर के किनारे बसा महाराष्ट्र के कोकण इलाके का यह शहर न केवल अपने समुद्री विस्तार के लिए जाना जाता है बल्कि यहाँ मौजूद किले मराठा इतिहास की भी एक खूबसूरत झलक पेश करते हैं।
किसी वीकेंड रोड ट्रिप का मन हो या रोमांचक समुद्री सफ़र का आनंद लेने का, अलीबाग का सफ़र दोनों ही लिहाज़ से आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
अलीबाग बीच और किले
मांडवा से बस या कैब में क़रीब एक घंटे का सफर तय आप अलीबाग पहुँचते हैं। रास्ते में छोटे-छोटे एक मंज़िल के घर और इन घरों के इर्द गिर्द हरियाली और इफरात की जगह देखकर लगता है कि आप शोर-शराबे की दुनिया को कहीं पीछे छोड़ आए हों।
रास्ते भर छोटे-छोटे गाँव हैं जिनमें होमस्टे सरीखे रिसॉर्ट या घर बने हैं जहां एक-दो दिनों के लिए सुकून से रहा जा सकता है। मिनटों की पैदल दूरी पर आप समंदर के किनारों पर बपौती का अहसास पा सकते हैं। दूर दूर तक कोई नहीं।
सिर्फ आप, आपके अपने और दूर दूर तक फैली शांति जिसे बीच-बीच में लहरों की आवाज छेड़ सी जाती है।
अलीबाग में समुद्र के बीचों-बीच बने कोलाबा क़िले में मराठा साम्राज्य के वैभवशाली इतिहास के चिह्न देखने को मिलते हैं।
इस क़िले तक पहुँचने के लिए आपको पूर्ण ज्वार के समय जाना होगा। पेशवाओं के साम्राज्य के दौरान बना खांडेरी का क़िला भी यहाँ का मुख्य आकर्षण है। अलीबाग के इतिहास में बेनी इज़राइली यहूदियों का महत्वपूर्ण स्थान है जो यहाँ क़रीब 200 सालों तक रहे।
कहा जाता है कि अली नाम के एक अमीर इज़राइली यहूदी ने यहाँ कई बगीचे बनाए और उसी के नाम पर इस जगह का नाम अलीबाग पढ़ गया। यहाँ मौजूद इज़राइल आली नाम की एक जगह पर यहूदियों का एक उपासनाग्रह भी बना है।
काशिद और मुरुद जंजिरा
अलीबाग से काशिद की तरफ़ खूबसूरत सड़क से तकरीबन डेढ़ घंटे का सफर एक और खूबसूरत समुद्री किनारे तक ले आता है। काशिद नाम के इस बीच में लोग समंदर की लहरों से इत्मिनान के साथ साथ थोड़ी-थोड़ी मस्तियां बटोरने चले आते हैं। यहां पर बनाना राइड, पैराशूट, स्ट्रीमर वगैरह का मजा भी लिया जा सकता है।
काशिद से आगे फिर सवा घंटे का सफर मुरुद के समुद्री किनारे का है। इस किनारे से पाल वाली कुछ नावें जंजिरा नाम के एक किले तक ले जाती हैं। इस किले के स्थापत्य की खासियत ये है कि इसका मुख्य द्वार तब तक नहीं दिखाई देता जब तक आप इसके बिल्कुल सामने न हों।
एक द्वीप पर बना यह किला इसलिए भी मशहूर है क्योंकि पश्चिमी समुद्री तटों में यह एक अकेला किला है जिसे डच, मराठा और ईस्ट इंडिया कंपनी जैसे आक्रामक साम्राज्य भी जीत नहीं पाये।
यह किला रामपाटिल नाम के एक मछुआरों के एक नेता ने बनाया था जिसका मकसद समुद्री डाकुओं से मछुआरों के कोली समाज की रक्षा करना था।
बाद में अहमद नगर के निजाम ने अपने सिपहसालारों को भेजकर इसपर अपना कब्जा कर लिया और तत्कालीन किले को तोड़कर एक अभेद्य किले का निर्माण किया। यह एक ऐसा किला है जो भारतीय समुद्री किलों में सबसे मजबूत किलों में से एक बन गया।
दिव्यागार बीच
आप इस समुद्री यात्रा के आनंद को कुछ और बढ़ाना चाहते हों तो सफर और लंबा चल सकता है। मुरुड से ही एक और स्ट्रीमर दिग्गी नाम के एक सदूर गांव की तरफ जाता है। लगभग 30 मिनट की समुद्री यात्रा के बीच डूबते हुए सूरज को देखने का अपना ही सुख है।
किसी दूसरी दुनिया में चले आने सरीखे इस अनुभव के बाद दिग्गी पहुंचना और वहां से 15 मिनट की दूरी पर दिव्यागार नाम के एक एकांत भरे सुंदर समुद्री किनारे पर पहुंचना इत्मीनान से दोस्ती कर लेने सा लगता है।
सुपारी के पेड़ों के बीच बांस के खंभों पर टिके हट्स में रात में बिताने का अनुभव यहाँ आकर आपको ज़रूर लेना चाहिए।
समुद्र तटों पर सीफ़ूड का ज़ायका
इन समुद्री किनारों पर मछली के बने व्यंजनों और प्रोंस का स्वाद लेना बिल्कुल न भूलें। स्थानीय रेशाद मसालों में बने ये स्वादिष्ट व्यंजन आपके सफ़र के ज़ायक़े को और बढ़ा देंगे। ख़ास स्थानीय पेय सोल कड़ी स्वाद भी यहाँ आकर आपको ज़रूर लेना चाहिए।
अलीबाग, काशिद, मुरुद और दिव्यागार कब जाएँ
आमतौर पर इन समुद्री तटों का मौसम सुहावना रहता है। हांलांकि बारिशों में समुद्र तटों पर जाना थोड़ा जोखिम भरा हो सकता है। गर्मियों के बाद और ख़ासकर सर्दियों में यहाँ आकर आप यहाँ की बीच लाइफ़ का भरपूर लुत्फ़ ले सकते हैं।
अलीबाग, काशिद, मुरुद और दिव्यागार कैसे पहुँचें
नज़दीकी शहर मुंबई से अलीबाग और उसके करीबी समुद्री किनारों तक आप दो तरीकों से पहुँच सकते हैं।
पहला तरीका रेल मार्ग का है जिसके लिए आपको नज़दीकी रेलवे स्टेशन पेन तक आना होगा।
दूसरा तरीका समुद्री सफ़र का है। मुंबई के गेटवे ऑफ़ इंडिया से आप जेटी लेकर करीब डेढ़ घंटे में मांडवा नाम की जगह पर पहुँच सकते हैं। वहाँ से कैब या ऑटो लेकर आप अलीबाग पहुँच सकते हैं। अलीबाग से काशिद और मुरुड पहुँचने के लिए भी आपको कैब लेकर ही आना होगा।
1 Comment
उमेश
(August 4, 2022 - 10:47 am)रेवदंडा चौल का इतिहास भी बताये