स्पेन की राजधानी मैड्रिड (Madrid city Spain)की यात्रा करते हुए भारतीय पत्रकार अखिल रंजन के अनुभव बहुत रोचक रहे। अखिल रंजन न्यूज़ एजेंसी एएफपी, बीबीसी और ट्विटर जैसे सस्थानों के लिए काम कर चुके हैं। वो गूगल जैसी संस्थाओं के लिए फ़ैक्ट चेकिंग टीम का हिस्सा भी रहे। भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुके अखिल की घूमने में विशेष रुचि है। यहाँ पेश हैं उनकी यूरोप यात्रा के ये मज़ेदार अनुभव यात्राकार पर खास आपके लिए।
दिसंबर 2019 एशिया-यूरोप जर्नलिस्ट फाउंडेशन (ASEF) के सालाना सम्मेलन में भारत की तरफ से भाग लेने के लिए पहली बार मैड्रिड जाना हुआ था. क्रिसमस की सरगर्मियों के बावजूद शहर बहुत ठंढा लगा था, लेकिन स्पेन का खिलंदड़ अंदाज़ मुझे भा गया था.
रंगबाज राजाओं और तानाशाहों की सनक-जनित खूनी इतिहास से आगे निकल अपनी मिली-जुली सांस्कृतिक विरासत को सीने से लगाया हुआ शहर थोड़ी देर से उठता है और खूब देर रात तक आपके लिए बाहें फैलाया जागता रहता है. मुझ जैसे निशाचर को और क्या चाहिए भला? अब जो गर्मियों में आना हुआ तो यह निशाचरी थोड़ी और रास आ रही है.
Palacio Real de Madrid, स्पेन का राजमहल
मैड्रिड शहर (Madrid city Spin) की कहानी शुरू होती है मंज़ानारेस नदी के तट पर बसे मायरिट नामक एक छोटे से पहाड़ी गांव से, जहां आज स्पेन का यह भव्य और विशाल शाही महल खड़ा है. दरअसल अफ्रीकी महाद्वीप से अटलांटिक और भूमध्य सागर को मिलाने वाले महज नौ मील चौड़े जिब्राल्टर स्ट्रेट के बाद से वर्तमान फ्रांस की दक्षिणी सीमा तक स्पेन और पुर्तगाल का पूरा भूभाग सम्म्लिलित रूप से आइबेरिया (प्रायद्वीप) कहलाता है.
आठवीं सदी के आखिर और नौवीं सदी के मध्य तक उमय्यद ख़लीफ़ा अमीर अब्दुल रहमान और उनके वारिसों के नेतृत्व में धीरे-धीरे आइबेरिया पर इस्लाम का प्रभाव बढ़ता गया. उमय्यद सल्तनत के अधीन आये आइबेरिया के इलाके को अल-अंडलूस या अन्दालूसिया कहा गया और कोरडोबा शहर इसकी राजधानी बनी. इस दौरान आज के दक्षिणी स्पेन में बसे और विकसित हुए कोरडोबा और ग्रेनाडा जैसे शहरों में इस्लामिक स्थापत्य के शानदार नमूने आज भी अपनी पूरी भव्यता से खड़े हैं.
ख़ैर अभी लौटते हैं मैड्रिड शहर की शुरुआत पर जहां से लगभग पचास मील की दुरी पर बसा है प्राचीन और ऐतिहासिक शहर टोलेडो. लंबे समय तक स्पेन की राजधानी रहे इस छोटे से मगर सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण टोलेडो शहर की रक्षा के लिए उमय्यद ख़लीफ़ा मुहम्मद प्रथम ने मायरिट गांव में एक सैन्य किला बनवाया. साल 852 से 886 दरम्यान बने अल्काज़ार नमक इस मूरिश किला धीरे-धीरे सत्ता का केंद्र बनता गया और आप-पास का इलाका मायरिट गांव से मैड्रिड शहर में बदलता गया.
साल 1083 में क्रिस्चन राजा अल्फोंसो VI ने मैड्रिड पर कब्ज़ा करने के बाद अल्काज़ार का विस्तार कर इसे अपना शाही दरबार बनाया. अगले छह सौ सालों तक स्पेन पर विभिन्न राज्य-परिवारों के शासन के दौरान अल्काज़ार सत्ता का केंद्र बना रहा. इस दौरान सम्राट फिलिप द्वितीय ने 1561 में मैड्रिड को स्थाई रूप से अपनी राजधानी और अल्काज़ार को अपना रिहाइश बना लिया.
साल 1700 के आखिर में जब अंतिम और निःसंतान हैप्सबर्ग राजा चार्ल्स द्वितीय की मृत्यु हुई तो फ्रांस के तत्कालीन राजा लुई सोलहवें का पोता फिलिप पंचम के नाम से स्पेन का राजा बना. वर्साय के आलिशान महल में पले बढ़े इस राजकुमार को अल्काज़ार में रहना कतई पसंद नहीं था और उसने दरबार में कई बार उसे गिराकर नया महल बनाने का प्रस्ताव रखा. लेकिन लगभग नौ सौ सालों तक सत्ता के केंद्र रहे इस किले से स्थानीय लोगों की भावनायें जुड़ी थी और उसे नुकसान पहुंचाना अपने ख़िलाफ़ विद्रोह भड़काने जैसा था.
बहरहाल फ्रांस के इस रंगबाज़ राजकुमार को अपने लिए वर्साय जैसा आलिशान महल बनवाने के लिए चौतीस साल तक इंतज़ार करना पड़ा. कहा जाता है कि एक बहुत ही सोची-समझी साज़िश की तहत साल 1734 में क्रिसमस की पूर्व-संध्या पर ठीक आधी रात को अल्काज़ार में आग भड़क उठी जब सभी लोग चर्च गए थे.
किले में रह गए एक मात्र सुरक्षाकर्मी के मुताबिक़ शहर भर के चर्चों में कैरॉल गायन और घंटियों की शोर के चलते वह समय पर अग्नि-शमन दाल को इत्तेला नहीं दे पाया. बाद में इसे एक मामूली दुर्घटना माना गया जिसमें कोई हताहत नहीं हुआ था, लेकिन अल्काज़ार नेस्तनाबूद हो गया. मज़ेदार बात यह है कि उसमें मौजूद तमाम धन-दौलत और बहुमूल्य कलाकृतियां बहुत पहले ही सुरक्षित निकाल ली गई थी जो आज भी मैड्रिड के म्यूजियम में देखी जा सकती हैं.
उसी अल्काज़ार की बुनियाद पर साल 1738 से 1755 के बीच यह नया महल बना लेकिन इसके पूरा होने से पहले ही फिलिप पंचम की साल 1746 में मृत्यु हो गई. बहरहाल यूरोप की सरजमीं पर स्थित सबसे इस बड़े शाही महल माने जाने वाली इस बिल्डिंग में 3418 कमरे हैं. मतलब अगर कोई एक कमरे में सिर्फ एक रात भी सोये तो महल के सभी कमरों में सो लेने के लिए उसे नौ साल से अधिक लग जायेगा.
वैसे स्पेन का वर्तमान शाही परिवार इस महल में नहीं, बल्कि शहर के बाहर एक छोटे से घर में रहता है और यह महल अब सिर्फ विशेष मौकों पर इस्तेमाल होता है. अब यह आप पर निर्भर करता है कि इसे शाही परिवार की सादगी समझी जाय या चालाकी, क्योंकि हर साल लगभग दस से पंद्रह लाख लोग पंद्रह यूरो का टिकट लेकर इस विशालकाय महल को अंदर से देखने के लिए लाइन लगाए रहते हैं.
यह भी पढ़ें
रेटिरो पार्क (El Retiro Park in Madrid city Spain)
मैड्रिड शहर (Madrid city) के बीचोबीच लगभग 125 हेक्टेयर में फैला हरा-भरा एल रेटिरो या बुएन रेट्रो पार्क कभी शाही परिवार का आरामगाह हुआ करता था. वर्तमान में यूनेस्को हेरिटेज साइट का दर्जा प्राप्त शहर का यह सबसे बड़ा पार्क पर्यटकों और स्थानीय लोगों को एक समान आकर्षित और स्वागत करता है. विश्व-विख्यात प्राडो संग्रहालय (Prado Museum) से सटा यह पार्क शहर में होते हुए भी हमें शहर से दूर ले जाता है.
वैसे तो पार्क के अंदर बहुत सारे ऐतिहासिक और दर्शनीय मॉन्युमेंट हैं, लेकिन मुझे पुएर्ता डे ला इंडिपेंडेनिया (स्वतंत्रता द्वार) और क्रिस्टल पैलेस बहुत सुंदर लगे. साल 1887 में वास्तुकार रिकार्डो वेलाज़क्वेज़ बॉस्को ने यह खूबसूरत ग्लास हाउस डिज़ाइन किया था.
उस समय फिलीपींस स्पेन का सबसे बड़ा और महत्पूर्ण उपनिवेश था और यह जगह वहां से लूटकर लाए गए सामानों की प्रदर्शनी बन गई. कालांतर में यह विदेशी पौधों की प्रजातियों को सुरक्षित रखने के लिए ग्रीनहाउस बनता गया, विश्वभर के कई नेताओं का स्वागत किया और स्पेन के आधिनुक इतिहास के लिहाज़ से महत्पूर्ण कई क्षणों का गवाह भी रहा.
स्पेन के मैड्रिड में मिश्र का मंदिर (Temple in Madrid city Spain)
मिस्र में नील नदी के पानी को नियंत्रित करने के लिए साल 1960-70 के दरम्यान जब विशाल असवान बांध का निर्माण शुरू हुआ तो फेरॉनिक काल के बहुत से मंदिर या तो जलमग्न हो गए या फिर उनके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा. इन प्राचीन धरोहरों को सहेजने के लिए यूनेस्को द्वारा एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की अपील की गई, जिसके तहत विश्व के लगभग पचास देश आगे आए.
कई सालों तक चले इस अभियान में बीस से अधिक मंदिरों और प्राचीन इमारतों को सुरक्षित किया गया. इस दौरान अबू सिंबल जैसे विशालकाय मंदिर के पत्थरों को काट-काट कर लगभग दो सौ मीटर पीछे और पैंसठ मीटर की ऊंचाई पर फिर से स्थापित किया गया. दूसरी तरफ पूरी तरह डूब चुके फिले के आइसिस मंदिर को नजदीकी पहाड़ी पर हुबहु स्थानांतरित किया गया.
मिस्र ने इस अभियान में भाग लेने और आर्थिक मदद करने वाले देशों को शुकराना के बतौर कई मंदिर और ओबिलिस्क भेंट किया जो आज भी विश्व के कई शहरों के मुख्य आकर्षण हैं. मैड्रिड के शाही महल के ठीक बगल में एक छोटे से पहाड़ी पर बने पार्क के बीचोबीच स्थित डेबोड मंदिर मिस्र द्वारा स्पेन को दिया गया एक ऐसा ही 200 ईसा पूर्व का धरोहर और फेरॉनिक शुकराना है.
वरमाउथ या वरमू और स्पेन का पारंपरिक तापस फूड कल्चर
वरमाउथ, वर्माउथ या स्थानीय उच्चारण में कहें तो वरमू स्पेन में गर्मियों की लंबी दोपहरी में पिया जाने वाला पेय ‘पदार्थ’ है. पारंपरिक तापस बार या तावर्न में यह आज भी मिट्टी के बड़े से घड़े में रखा जाता और बर्फ़ तथा ऑलिव के साथ परोसा जाता है. एक लंबी सुबह से के बाद अगर एक-दो ग्लास बढ़ियाँ वरमू मिल गया तो वक़्त रुकता नहीं, उसकी दिशा ही बदल जाती है. यक़ीन न हो तो वीडियो में दिख रही घड़ी की चाल ही देख लीजिए… हाहा.
12वीं-13वीं सदी में जब दक्षिणी स्पेन (अंडलूसिया) में उमय्यद ख़िलाफ़त के नेतृत्व वाले इस्लामी साम्राज्य का प्रभाव घटने लगा और उत्तरी स्पेन (आइबेरिया) में ईसाई राजघरानों का प्रभाव बढ़ा तो उन्होंने बड़े स्तर पर क़िले, चर्च और घरों का निर्माण कराना शुरू किया. निर्माण काम में लगे मज़दूरों को दोपहर में खाने के लिए थोड़ा सा पैसा मिलता था.
लेकिन गर्मियों में सुबह से काम करने वाला देह खाने से पहले कुछ ठंढा पीने को माँगता और स्वच्छ पानी की कमी के चलते वे सारा पैसा वाइन और शराब पीने में खर्च कर देते. और फिर बिना कुछ खाए दारू पी लेने के बाद वे और काम करने की हालत में नहीं होते.
ऐसे में 13वीं सदी में राजा बने अल्फोंसो ‘द वाइज़’ ने एक आदेश पारित किया, जिसके मुताबिक सभी रेस्तराँ और बार में दारू के हर गिलास के साथ ब्रेड, मांस या मछली के टुकड़े जैसा कुछ खाने का छोटा-मोटा सामान परोसना अनिवार्य हो गया. खाने के ये सामान छोटे से प्लेट में दारू के गिलास के उपर रख दिया जाता था जिसे ताकि उसमें मक्खी-मच्छर ना गिरे. ऐसे प्लेटनुमा ढक्कन या तस्तरी को स्थानीय भाषा में तापा कहते हैं और यहीं से स्पेन का मशहूर तापा या तापस फ़ूड कल्चर की शुरुआत मानी जाती है.
पारंपरिक तापा, तापस बार या तावर्न में आज भी आपको खाने का छोटा-छोटा पोर्शन परोसा जाता है. कई बार खाने के ये सामान रेस्तराँ या बार में डिस्प्ले के बतौर रखा जाता है और आप अपने प्लेट में जो लेते हैं उसके अनुसार पैसे देने पड़ते हैं. कई जगहों पर यह ऑप्शन होता है कि आप तीन, चार या पांच तापस आइटम सेलेक्ट कर लें.
इसमें बस एक मुश्किल आती है कि ज़्यादातर जगहों पर ज़्यादातर तापस आइटम बीफ, पोर्क जैसे मांस और मछली वाले होते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में बहुत सारे यूरोपियन देशों में शाकाहारी और विगन खानों का चलन बढ़ा है और यह बात इस बार मुझे स्पेन में भी महसूस हुई. अब देखिए ना, ला कोंचा नामक मैड्रिड के इस पुराने वरमु बार में हमें हुम्मूस के साथ गरमा-गरम मड़ुआ की रोटी मिल गई. साथ में स्पेन का फ़ेमस ऑलिव तो थे ही. एक दूसरी जगह पर हमें चुकंदर (बीटरूट) टोर्टिया (रोटी) के साथ मांस के बदले भुने हुए मसालेदार कटहल के टुकड़े मिले. खाते हुए मैं सोच रहा था कि कटहल अब इधर भी शाकाहारियों का मटन बन गया है शायद.