चौथा दिन : बेरीनाग-चौकौड़ी-राईआगर-गंगोलीहाट
चौकोड़ी से हिमालय के दीदार
सुबह-सुबह हम बेरीनाग से चौकोड़ी (Chaukori) के लिए रवाना हो गए. मौसम एकदम खुला हुआ था. आकाश एकदम साफ़ और हवा मंद-मंद बह रही थी. बाइक-यात्रा के लिए ये एकदम मुफीद मौसम था.
बेरीनाग से चौकोड़ी की दूरी क़रीब 13 किलोमीटर है. चौकोड़ी, उत्तराखंड (Chaukori, Uttarakhand) के पिथौरागढ ज़िले (Pithoragarh District) का एक बेहद ख़ूबसूरत हिलस्टेशन है जिसके बारे में बहुत लोग नहीं जानते. समुद्र तल से करीब 2000 मीटर की ऊंचाई पर बने इस हिल स्टेशन के आस-पास देवदार और चीड़ के घने जंगल हैं जिनके पार हिमालय की ख़ूबसूरत बर्फ़ से ढंकी चोटियां नज़र आती हैं.
यहां पहुंचकर हम काफी देर तक खुद के वजूद को जंगल के हवाले किये बैठे रहे. एकदम शांत माहौल और सामने हिमालय की श्रृंखलाओं का मनोरम दृश्य. बिना कुछ बोले केवल प्रकृति को निहारते हुए ही यहां कई घंटे बिठाये जा सकते थे.
पाताल भुवनेश्वर गुफा (Patal Bhuvaneshwar) की ओर
करीब तीन घंटे चौकोड़ी के इस एकांत में बिताकर हम वहां से लौट आये. अब हमें खाना खाकर गंगोलीहाट के लिए निकलना था. रास्ते में घास के ‘लूटे’ मकानों के आस-पास दिखाई दिए. ये ‘लुटे’ दरअसल जानवरों के चारे के संग्रहण के लिए किया जाने वाले पहाड़ी इंतज़ाम हैं.
राईआगर से जो सड़क गंगोलीहाट (Gangolihat) की तरफ जाती है उसे देखकर लगता है कि अब हम किसी उपेक्षित छोड़ दी गई जगह की तरफ जा रहे हैं. बावजूद इसके कि गंगोलीहाट का आध्यात्मिक और पर्यटन दोनों दृष्टिकोण से काफी महत्त्व है, यहाँ की ये सड़क सालों से नहीं बनी. जगह जगह पर बुरी तरह बेहाल इस सड़क से गुजरना अब तक का सबसे खराब अनुभव रहा.
रात को गंगोलीहाट में हम लोग मेरे घर पर रहे. अगले दिन सुबह सुबह हम पाताल भुवनेश्वर की तरफ चल पड़े.
पाताल भुवनेश्वर गुफा, उत्तराखंड के पिथौरागढ ज़िले में एक अनूठी गुफा है जिसका आध्यात्मिक महत्त्व काफी माना जाता है. पाताल भुवनेश्वर समुद्र तल से क़रीब 1350 मीटर की ऊंचाई पर है. माना येमुख्यालय गंगोलीहाट से इसकी दूरी 3 भी जाता है. कहा जाता है कि इस गुफा के अंदर आदिगुरु शंकराचार्य ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी. गुफा स्थापत्य के रूप में भी अपना अलग महत्त्व रखती है. गुफा के अंदर मौजूद चट्टानों पर जिस तरह की नक्काशियां हैं वो देखने लायक हैं.
मैं इससे पहले भी कई बार इस गुफा के भीतर गया था पर दानिश गुफा के द्वार पर पहुँचते ही असहज महसूस करने लगा इसलिए हमने बाहर के नजारों का लुत्फ़ लेना ही बेहतर समझा. आप चाहें तो यहां पाताल भुवनेश्वर गुफा के बारे में विस्तार से पढ़ सकते हैं. भुवनेश्वर एक सुन्दर पहाड़ी गाँव है और यहाँ से भी हिमालय की लम्बी पर्वत श्रृंखला सामने दिखाई देती है.
पाताल भुवनेश्वर से लौटने के बाद हम मेरे गाँव चिटगल की तरफ रवाना हो गए. चिटगल वहां से करीब दस किलोमीटर दूर है.
ये सुन्दर पहाड़ी गाँव है. चिटगल में ताईजी और भाभी ने पहाड़ी खाना खिलाया. पालक की सब्जी, भटिया, चावल, दाल एक थाली में हमें परोसा गया. खाना खाकर कुछ देर हम वहां सुस्ताए और फिर शाम को वापस गंगोलीहाट लौट आये .
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1 Comment
rahul joshi
(January 26, 2016 - 2:19 pm)V nice…main bhi apne hi Gaon ghumne nikla hu ye padhkar shayed mujhe kafhi madad milegi#bekuf ldka