INA Museum Moirang

मोइरांग जहां सुभाष चंद्र बोस की सेना ने आज़ादी से पहले ही फहरा दिया था तिरंगा

सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) ने मणिपुर के आइएनए म्यूज़ियम (Moirang INA Museum) मोइरांग में आज़ादी से पहले ही भारत की आज़ादी की घोषणा कर दी थी। भारत की ज़मीन पर दूसरी बार यहीं भारत का झंडा भी फहराया गया था। ये बातें आज भी कम लोग जानते हैं।

यह भी कि मणिपुर में दूसरे विश्व युद्ध की निर्णायक लड़ाई लड़ी गयी जिसमें सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज (आईएनए) ने जापानियों के साथ मिलकर ब्रिटिश सेना के विरुद्ध लड़ाई लड़ी।

कहा जाता है कि नेताजी ने देश की आज़ादी से बहुत पहले 1944 में ही भारत के छोटे से हिस्से को ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी दिला दी। 

 

मोइरांग में था भारतीय आज़ाद हिंद फ़ौज का मुख्यालय (Moirang INA Museum once INA headquarter) 

मणिपुर के इंफाल से करीब 45 किलोमीटर दूर है एक छोटी सी जगह मोइरांग। यह नाम आज भी ज़्यादातर भारतीयों के लिए अपरिचित होगा लेकिन एक वक्त था जब इस जगह ने भारत की आज़ादी की लड़ाई में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आज़ादी से पहले मोइरांग ही वह जगह थी जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) के द्वारा संगठित की गई भारतीय आज़ाद हिंद फ़ौज (आईएनए) का मुख्यालय हुआ करता था। यह सेना दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटिश इंडियन आर्मी के द्वारा बंदी बनाए गए युवकों ने मिलकर बनाई जिसके कमांडर सुभास चंद्र बोस थे।

सेना में बर्मा, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों में रह रहे भारतीय नागरिकों ने भी शामिल होकर अपनी हिस्सेदारी पेश की और भारत की आज़ादी के लिए बढ़-चढ़ कर अपना योगदान दिया। आज इस जगह को आईएनए मेमोरियल कॉम्प्लेक्स नाम से जाना जाता है।

यहाँ आईएनए वार मेमोरियल (Moirang INA Museum war memorial) भी है जिसका उद्घाटन 23 सितंबर 1969 को किया गया था। 


मोइरांग में भारतीय ज़मीन पर दूसरी बार फहराया गया भारत का झंडा

मणिपुर के इस अनाम से छोटे से क़स्बे में भारत की ज़मीन में दूसरी बार कर्नल शौक़त मलिक ने 14 अप्रैल 1944 को यहीं तिरंगा फहराया था।

इसमें माईरेम्बम कोईरेंग सिंग जैसे मणिपुरी लोगों की मुख्य भूमिका मानी जाती है। माईरेम्बम बाद में मणिपुर के पहले मुख्यमंत्री भी बने। पहली बार आईएनए के कमांडर इन चीफ़ सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा झंडा फहराया था।


 

आइएनए वार मेमोरियल में दूसरे विश्वयुद्ध से जुड़े अवशेष 

मोइरांग में दरअसल सिंगापुर के आइएनए वार मेमोरियल की रेप्लिका बनाई गयी है जिसे द इंडियन नेशनल आर्मी मेमोरियल एंड म्यूज़ियम के नाम से जाना जाता है। यह आईएनए मेमोरियल कॉम्प्लेक्स की इमारत का हिस्सा है जिसके बाहर सुभाष चंद्र बोस की एक आदमकद प्रतिमा है जो दूर से ही आकर्षित करती है।

संग्रहालय एक छोटी सी बंगलेनुमा इमारत में बना है जिसके अंदर द्वितीय विश्वयुद्ध (Second world war) में भारतीय हिंद फ़ौज (Indian National Army) से जुड़े अवशेष रखे गए हैं। इस छोटे से अहाते में युद्ध में इस्तेमाल हुए हथियार रखे गए हैं।

कुछ नक़्शे भी हैं जिनमें आज़ाद हिंद फ़ौज की यात्रा के विवरण हैं। इसके अलावा यहाँ भारतीयों के आज़ादी के संघर्ष और इतिहास का तस्तावेज़ीकरण करती किताबें भी रखी गयी हैं। 

 

यहाँ से चलती थी भारत के आज़ाद हिस्से की अंतरिम सरकार?

माना जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध में जापान की इंपीरियल आर्मी की तरफ़ से लड़ते हुए नेता जी आज़ाद हिंद फ़ौज मणिपुर घाटी के एक हिस्से को ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी दिलाने में कामयाब हो गयी थी।

मणिपुर वैली के पंद्रह सौ वर्ग किलोमीटर के इस हिस्से को आज़ादी दिलाने के बाद तीन महीने तक बाक़ायदा यहाँ से आज़ाद भारत की पहली सरकार भी चलाई गयी। मोइरांग की यह जगह ही इस सरकार का मुख्यालय हुआ करती थी। 

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उमेश पंत

उमेश पंत यात्राकार के संस्थापक-सम्पादक हैं। यात्रा वृत्तांत 'इनरलाइन पास' और 'दूर दुर्गम दुरुस्त' के लेखक हैं। रेडियो के लिए कई कहानियां लिख चुके हैं। पत्रकार भी रहे हैं। और घुमक्कड़ी उनकी रगों में बसती है।

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