मध्य प्रदेश का शिवपुरी देश की उन प्राचीनतम जगहों में से है जो अपनी प्राकृतिक ख़ूबसूरती और वन्यजीवन के लिए पुराने समय से ही राजे-रजवाड़ों के बीच लोकप्रिय रहा है। यहाँ के घने जंगलों में मुग़लकालीन शासक शिकार करने आया करते थे तो वहीं सिंधिया राजपरिवार ने यहाँ की ख़ूबसूरती देखते हुए शिवपुरी को अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। अगर आपको प्राकृतिक सुंदरता और सुकून की तलब हो तो शिवपुरी आपकी चहेती जगहों में शुमार हो सकता है।
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छतरी : सिंधिया परिवार की यादगारी
संगमरमर की बनी छतरी शिवपुरी में मौजूद हिंदू और मुगल स्थापत्य कला का अनूठा मिश्रण पेश करती हैं। मुग़ल अन्दाज़ में बने बगीचों के इर्द-गिर्द बनी सफ़ेद रंग की इन इमारतों की नक़्काशी देखने लायक है। इन इमारतों में मौजूद सभाकक्षों में स्तम्भों और झरोखों का खूबसूरत इस्तेमाल आपको अपनी ओर आकर्षित करता है। यह छतरियाँ दरअसल सिंधिया राजपरिवार के अहम लोगों की यादगारी के तौर पर बनाई गई थी। यहाँ आज भी उनकी याद में कार्यक्रम किए जाते हैं जिन्हें छबीने कहा जाता है। माधवराव सिंधिया ने अपनी मां की याद में सफ़ेद पत्थरों की भव्य छतरी बनाई और यह इच्छा ज़ाहिर की उनकी मौत के बाद उनकी भी एक छतरी मां की छतरी के सामने बनाई जाए। इसलिए यह परिसर को मां-बेटे के बीच प्यार की अनोखी निशानी भी माना जाता है।
भदैय्या कुंड
शिवपुरी में मौजूद भदैय्या कुंड पर्यटकों के बीच ख़ासा लोकप्रिय है। इस कुंड के ऊपर बनी दीवार से छलछलाता हुआ पानी कुंड में गिरता हुआ बेहद खूबसूरत लगता है। ख़ासकर बरसात के मौसम में यह झरना अपने उफ़ान पर होता है। इस कुंड के बारे में किंवदंती है कि अगर किसी युगल के बीच कलह चल रहा हो तो इस कुंड में डुबकी लगाने से वह दूर हो जाता है। कहा जाता है कि जिन चट्टानों से होता हुआ यह पानी कुंड में गिरता है उनमें त्वचा संबंधी रोगों के उपचार करने वाले ख़ास खनिज-लवण पाए जाते हैं इसलिए यह पानी काफ़ी गुणकारी भी माना जाता है।
माधव नैशनल पार्क
शिवपुरी में मौजूद माधव नैशनल पार्क ऊपरी विंध्य पहाड़ियों के अंतर्गत आता है। यह मध्य प्रदेश के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यानों में गिना जाता है। मुगल सल्तनत के दौरान यह जगह राजे-रजवाड़ों की शिकारगाह हुआ करती थी। माधव राव सिंधिया ने मनियर नदी पर बांध बनाए जिससे इस राष्ट्रीय उद्यान में झीलों का निर्माण हुआ। इन झीलों ने इस जगह की ख़ूबसूरती को और बढ़ा दिया है। वन्य जीवन में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए यहाँ देखने को जंगली जानवरों की ढेरों प्रजातियाँ हैं। यहाँ आपको नीलगाय, चिंकारा, और चीतल, सांभर और बार्किंग डियर जैसी हिरण की प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं। इसके अलावा साही, अजगर, तेंदुए, सियार, भेड़िया, लोमड़ी, जंगली सुअर, आदि जानवर भी इस पार्क में देखे जा सकते हैं।
साख्या सागर झील
मनियर नदी पर बनी साख्या सागर झील माधव नैशनल पार्क का हिस्सा है। जंगलों के बीच बनी इस खूबसूरत झील में एक बोटिंग क्लब भी है जहां से आप झील में नौकायन का मज़ा ले सकते हैं। झील के किनारे कई शूटिंग बॉक्स, वॉच टावर और पिकनिक मनाने की जगहें हैं जहां आप एक अच्छा समय बिता सकते हैं। इसके अलावा यहाँ मगरमच्छ और अजगर जैसे जीवों को देखकर आप अपनी यात्रा के रोमांच में इज़ाफ़ा कर सकते हैं। यह जगह कई तरह के प्रवासी पंछियों के दीदार के लिए भी काफ़ी लोकप्रिय है। और हां यहाँ आएँ तो सूर्यास्त का खूबसूरत नज़ारा देखना बिलकुल न भूलें।
किंग जॉर्ज क़िला
शिवपुरी में बना यह क़िला ब्रिटेन, बेल्ज़ियम और इटली की शिल्पकला के मिश्रण से बना है। यह क़िला दरअसल ब्रिटिश शासन के दौरान किंग जॉर्ज पंचम के प्रवास के लिए बनाया गया था। वो यहाँ चीते का शिकार करने आने वाले थे। हांलाकि जीवाजी राव सिंधिया द्वारा 1911 में बनवाए गए इस क़िले में जॉर्ज पंचम आकर रहे नहीं। राष्ट्रीय उद्यान में सबसे ऊँचाई वाली जगह पर बने इस क़िले से आस-पास के खूबसूरत नज़ारे भी देखे जा सकते हैं।
इनके अलावा बाणगंगा, नरवर का क़िला, मेदिखेड़ा डैम, सुरवाया गढ़ी जैसी और भी कई जगहें हैं जो शिवपुरी को एक बेहतरीन सैरगाह बनाती हैं।
कब जाएँ
सितंबर से मार्च के बीच शिवपुरी आने के लिए सबसे मुफ़ीद वक्त है। बरसात के समय यहाँ के झरने और झीलें उफ़ान पर रहती हैं और इनकी खूबसूरती चरम पर होती है। हालांकि बरसातों में कई बार बाढ़ का ख़तरा भी रहता है इसलिए योजना बनाने से पहले एक बार जानकारी ज़रूर लें।
कैसे पहुँचें
नज़दीकी हवाई अड्डा ग्वालियर में है जहां से क़रीब तीन घंटे में सड़क मार्ग द्वारा शिवपुरी पहुँचा जा सकता है। शिवपुरी रेलवे लाइन से भी जुड़ा है। यहाँ तक देश के मुख्य शहरों से ट्रेन से भी आया जा सकता है। सड़क मार्ग द्वारा भी यह देश के अहम शहरों से सीधे जुड़ा हुआ है।
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