हरिहरेश्वर और श्रीवर्धन का सफ़र : इन्हें कहते हैं दक्षिण का काशी

(Last Updated On: November 24, 2022)

महाराष्ट्र के कोकण का इलाक़ा न केवल अपने सुंदर और शांत समुद्री किनारों के लिए मशहूर है बल्कि यहाँ आकर मराठा साम्राज्य के इतिहास की झलक भी देखने को मिलती है। रायगढ़ और रत्नागिरी ज़िलों के इन कम मशहूर समुद्री किनारों पर आप कोकणी व्यंजनों और समुद्री लहरों  का मज़ा लेते हुए बेहतरीन समय गुज़ार सकते हैं। 

हरिहरेश्वर 

महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले में मौजूद हरिहरेश्वर के बारे में बहुत से लोग नहीं जानते लेकिन यह कोकण इलाके की बेहतरीन जगहों में शुमार है। हरिहर, हर्षिनांचल, ब्रह्माद्रि और पुष्पाद्रि नाम की पहाड़ियों से घिरा यह इलाक़ा क़रीब तीन किलोमीटर लम्बे समुद्री किनारे की वजह से सैलानियों को आकर्षित करता है।

हरिहरेश्वर में सावित्री नदी अरब सागर में आकर मिलती है। यहाँ हरिहरेश्वर नाम का विष्णु, ब्रह्मा और शिव भगवान का प्राचीन मंदिर है जिसे देखने श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। 

सोलहवीं शताब्दी में बने इस मंदिर की वजह से श्रद्धालुओं के बीच यह इलाक़ा देव-घर नाम से भी मशहूर है। अपने धार्मिक महत्व की वजह से इस इलाके को ‘दक्षिण का काशी’ भी कहा जाता है। इस मंदिर में कुछ ऐसी नक्काशियाँ हैं जिससे अनुमान लगाया जाता है कि इसे शिवाजी के कार्यकाल में बनाया गया होगा। हांलाकि पहले बाजीराव पेशवा के कार्यकाल के दौरान 1723 में इसका पुनर्निर्माण किया गया। 

इसके अलावा यहाँ कालभैरव मंदिर भी देखने लायक़ जगह है जो महाराष्ट्र के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। समजा देवी नाम के एक ख़ास मंदिर में भी आपको जाना चाहिए जिसके बारे में कहाँ जाता है कि यह देवी साँप के ज़हर के घातक असर से इंसानों को बचाती हैं। घने जंगलों के बीच बने अपने शांत समुद्री किनारों की वजह से हरिहरेश्वर घूमने के लिहाज़ से बेहतरीन जगह बन जाता है। 

श्रीवर्धन 

हरिहरेश्वर से केवल 18 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद श्रीवर्धन अपने शांत और सुंदर समुद्री किनारों के लिए  मशहूर है। मुंबई और पुणे जैसे शहरों से नज़दीक होने की वजह से यहाँ सैलानियों की चहल-पहल साल भर बनी रहती है। नैसर्गिक सौंदर्य के साथ-साथ मराठा इतिहास में भी श्रीवर्धन एक अहम जगह रखता है।

कहा जाता कि मराठा साम्राज्य में पेशवाओं की परंपरा यहीं से शुरू हुई थी। पहले पेशवा बालाजी विश्वनाथ का जन्म श्रीवर्धन में ही हुआ था। यहाँ आज भी उनकी एक विशाल प्रतिमा पेशवाओं के इतिहास की बानगी पेश करती है।

श्रीवर्धन महाराष्ट्र के सबसे पुराने नगरों में से एक है। रायगढ़ ज़िले के कोकण इलाके के इस समुद्री किनारे पर ख़ासकर सूर्यास्त के नज़ारे बेहद मनमोहक होते हैं। एक छोर पर हरी-भरी सह्याद्रि पर्वतमाला है और दूसरे छोर पर अरब सागर की शांत लहरें।

ऐसे में नारियल और सुपारी के पेड़ों से सराबोर साफ़-सुथरे रेतीले किनारों पर पड़ने वाली सुनहली रोशनी एक अद्भुत नज़ारा पेश करती है। यहाँ आकर क़रीब दो सौ साल पुराने लक्ष्मीनारायण मंदिर और पेशवाओं की परंपरा की याद दिलाने वाले पेशवा स्मारक की सैर भी आपको ज़रूर करनी चाहिए।

वेलस  बीच 

हरिहरेश्वर के दक्षिण में 12 किलोमीटर की दूरी पर है। ख़ास बात यह है कि इसकी पहचान यहाँ आने वाले कछुओं की वजह से बढ़ी। दरअसल कुछ साल पहले मादा ओलिव रिडले प्रजाति के कछुए प्रजनन के लिए यहाँ आने लगे।

फ़रवरी से मई के बीच इन कछुओं के अंडे देने का समय होता है। प्रकृति के सरक्षण के लिए सक्रिय संगठन इस बीच यहाँ कछुआ उत्सव मनाते हैं। इस दौरान इन कछुओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है और फिर इन्हें अरब सागर में छोड़ दिया जाता है।

वेलस के एक ओर सावित्री नदी बहती है और दूसरी ओर भारजा नदी। रत्नागिरी ज़िले में आने वाले वेलस बीच की प्रकृति प्रेमियों के बीच लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। यहाँ आएँ तो आप सावित्री नदी के मुहाने पर पहाड़ी पर बने बाँकोट के क़िले पर भी घूमने जा सकते हैं जो यहाँ से महज़ चार किलोमीटर दूर है।

कोंडविल बीच 

श्रीवर्धन से कवल पाँच किलोमीटर की दूरी पर मौजूद कोंडविल या कोंदिवली बीच वॉटर स्पोर्ट्स में रुचि रखने वालों के लिए शानदार जगह है। आप यहाँ के समुद्र तट पर पैराग्लाइडिंग, कयाकिंग और वॉटर सर्फ़िंग जैसी गतिविधियों का मज़ा ले सकते हैं।

कोंडविल के समुद्री किनारों के अलावा यहाँ की पहाड़ियों पर आप पिकनिक मनाने भी जा सकते हैं। जगबुडी नदी के किनारे बसे कोंडविल के पास एक बांध भी है, साथ ही, अलफाँसो आम, काजू और नारियल के कई बगीचे यहाँ हैं जो इसकी ख़ूबसूरती में इज़ाफ़ा करते हैं।

बागमंडला 

हरिहरेश्वर के दक्षिण पूर्व में छह किलोमीटर की दूरी पर बागमंडला एक खूबसूरत समुद्री किनारा है। यह इलाक़ा अपनी जंगल घाट सफारी के लिए मशहूर। यहाँ से बाँकोट के क़िले और रत्नागिरी के क़िले के लिए नियमित फेरी चलती हैं जिनमें आप समुद्री यात्रा के रोमांच का मज़ा भी ले सकते हैं।

हरिहरेश्वर कैसे पहुँचें 

नज़दीकी हवाई अड्डा मुम्बई या पुणे में है जहां के क़रीब तीन घंटे में यहाँ पहुँचा जा सकता है। कोंकण रेलवे के ज़रिए भी यहाँ पहुँचा जा सकता है जिसका नज़दीकी रेलवे स्टेशन मानगाँव है। बसों के ज़रिए भी श्रीवर्धन तक पहुँचा जा सकता है।

हरिहरेश्वर कब जाएँ

जनवरी और फ़रवरी में यहाँ एकदम सुहावना मौसम रहता है। यह समय यहाँ आने के लिए सबसे अच्छा रहता है। जुलाई से अक्टूबर के महीने भी यहाँ आने के लिए बढ़िया रहते हैं। सर्दियों में भी यहाँ आकर आप धूप का आनंद ले सकते हैं।

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