ट्रैवल बुक : कैदी, क्रिकेट और कंगारुओं के स्वर्णिम देश में, मीना झा (अंतिका प्रकाशन)
पाठकीय नोट्स : गीता श्री
“आपने हज़ारों खूबसूरत सूर्योदय और सूर्यास्त , सैंकड़ों आकर्षक इंद्रधनुष, मनमोहक पेड़ -पौधे , सुंदर नीला आकाश और पास से गुजरते लोगों की मुस्कानें नहीं देखीं तो जीवन को उसकी संपूर्ण सुंदरता में अनुभव नहीं किया. “
( भूमिका से)
इस यात्रा ने मुझे क्षमा करना सिखाया
मैं कहती हूँ – यात्रा वृतांत न पढ़ा तो क्या पढ़ा ? आपने जगहों की आत्मा को अनुभव ही नहीं किया. यात्राएँ जितनी मोहक होती हैं , उतना ही रुमानी होता हैं उनका वर्णन. लिखते हुए आप स्मृति की यात्रा कर रहे होते हैं. जगहों के बहाने खुद को भी टटोल रहे होते हैं, अपना आत्म खोल रहे होते हैं.
मैथिली -हिंदी की लेखिका मीना झा का यात्रा वृतांत पढ़ते हुए मैं उन्हें भी समझती चलती हूँ. एक लेखिका को जानते सुनते चलना उसकी रचना के साथ -साथ सुखद अनुभव.
वे एक जगह लिखती हैं –
“किताबें, चेहरा और ज़िंदगी पढ़ने की आदत -सी हो गई है. ज़िंदगी ने कई झटके दिए, मगर मैं अपनी इस अंतर्यात्रा में लीन चलती रही. इस यात्रा ने मुझे क्षमा करना सिखाया है. दुख -सुख में ज़्यादा हर्ष-विषाद भी नहीं होता. मानवता तो यही कहती है , समभाव से मनुष्यों से प्यार करो. यहाँ के लोग भी मुझे ऐसे ही लगे…!”
ऑस्ट्रेलिया की यात्रा का वृत्तांत
मीना जी ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर हैं और वहाँ की यात्रा के साथ -साथ भीतरी यात्रा भी कर रही हैं. जैसे यात्रा में जगहों को खोलते हैं, वैसे ही मन को भी. उसकी परतें उतारते चलते हैं. अपने ही लिखे से, अपनी भाषा से लेखक झांकता है.. असली रुप में.
कभी लगता है, ऑस्ट्रेलिया को पढ़ रही हूँ तो कभी लगता है – लेखिका को.
यात्राएँ हमें खोलती हैं.
लेखिका की अंतर्यात्रा की एक झलक देखिए जब वो ब्रिसबेन शहर के बॉटेनिकल गार्डन में घूम रही हैं-
“नरम धूप में सब सो गए हैं. मैं अब बिल्कुल अकेली थी. लेकिन अकेलेपन में भी दोस्त बना भीड़ उत्पन्न करने की आदत है मुझे. मित्र कई हैं -कभी पुस्तक, कभी संगीत, कभी प्रकृति । जब जो मिले. यहाँ प्रकृति थी न. ख़ुशबूदार पेड़-पौधे, घास की हरियाई गंध, परिचित -अपरिचित फूलों के रंग -गंध-कितनी भीड़ थी. बातें कर सकते हैं इनसे!”
लेखिका ऑस्ट्रेलिया के शहरों पर ही नहीं वहाँ के समाज और शासन व्यवस्था पर भी फ़िदा हैं. ऐसे में अपने देश की अराजक स्थिति खटकती तो है. हम तुलना करते हुए तकलीफ़ से भर जाते हैं.
‘दी ग्रेट बैरियर रीफ़’ की समुद्री यात्रा का रोमांचक विवरण
बहरहाल , किताब में कुछ नयी नयी और दिलचस्प जानकरियाँ हैं, जगहों को लेकर रोचक कथाएँ हैं.
‘दी ग्रेट बैरियर रीफ़’ की समुद्री यात्रा का विवरण रोमांच पैदा करता है.
आस्ट्रेलियाई समाज की एक सुंदर छवि वे गढ़ती हैं. यहाँ का समाज अभी तक उतना यांत्रिक नहीं हुआ है जितना अमेरिका और यूरोप का समाज.
इस किताब को पढ़ने के बाद इतना तो तय है कि मैं ऑस्ट्रेलिया जरुर जाऊँगी और सिडनी, मेलबर्न घूमते हुए साथ में गाइड के रुप में ये किताब होगी. ऐसी किताबें घूमने को उकसाती हैं. जहां नहीं जा सकती, वहाँ भी घूम आती हूँ, किताबें ऊँगली पकड़ कर सपनों में खड़ा कर देती हैं.
इस किताब का ब्लर्ब प्रिय लेखिका ममता कालिया जी ने लिखा है.