पूर्वोत्तर भारत में पर्यटन के लिहाज़ से खूबसूरती के न जाने कितने छिपे हुए ख़ज़ाने हैं. सूर्योदय के प्रदेश कहे जाने वाले अरुणांचल प्रदेश में सेला पास एक ऐसी ही जगह है. गुवाहाटी से बोमडिला होते हुए तवांग जाने के रास्ते में समुद्र तल से क़रीब 13 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई में है सेला पास.
साल-भर बर्फ़ से ढके रहने वाले इस ख़ूबसूरत जनशून्य इलाक़े में एक झील भी है. यह झील बौद्ध धर्म की पवित्र मानी जाने वाली प्रमुख झीलों में से एक है. सेला पास तवांग को शेष भारत से जोड़ता है.
सेला पास भारतीय सेना के जवान जसवंत सिंह रावत के पराक्रम की कहानी के लिए भी जाना जाता है. कहा जाता है कि भारत चीन युद्ध के दौरान जसवंत सिंह ने अकेले ही यहां चीनी सेना से टक्कर ली. सेला नाम एक लड़की ने अकेले लड़ते इस वीर को देखा तो इसकी मदद के लिये खाना लेके आई. लेकिन जब उसने देखा कि यह वीर सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गया तो उसे इतना दुःख हुआ कि उसने भी आत्महत्या कर ली. मान्यता है कि तभी से इस जगह को सेला नाम से जाना जाता है.
पूर्वोत्तर की यात्रा सेला पास जाए बिना यक़ीनन अधूरी रहती है. यात्राकार के इस वीडियो में देखिए इस ख़ूबसूरत इलाक़े की एक झलक.