दूर दुर्गम दुरुस्त : लॉकडाउन की क़ैद में हवा के झौंके सी किताब yatrakaar July 21, 2020 पाठकीय समीक्षा : दूर दुर्गम दुरुस्त (Door Durgam Durust review) संयोग बड़े मजेदार होते है, सच में. आठ-दस दिन में दूसरी बार ये एहसास हुआ.… Continue Reading
कहानी उस ‘देस’ की जहाँ समय स्थिर है और आदमी खर्च हो रहा है yatrakaar January 29, 2018 बुक रिव्यू : वह बह कोई देस है महाराज, अनिल कुमार यादव समीक्षक : अविनाश मिश्र अनिल कुमार यादव ने उत्तर-पूर्व की अपनी लम्बी… Continue Reading
‘इनरलाइन पास’ के साथ चलते-चलते दिमाग भी एक यात्रा पर निकल पड़ता है उमेश पंत December 18, 2017 किताब : इनरलाइन पास – यात्रा वृत्तांत (Innerline Pass by Umesh Pant) समीक्षा : श्रीश के पाठक बड़ी मुश्किल से हम गर्भ के कोकून… Continue Reading