ऋषिकेश यात्रा का यह वृत्तांत दो हिस्सों में हैं. यहां पेश है दूसरा भाग. पहला भाग आप यहां पढ़ सकते हैं.
तीसरा दिन
ऋषिकेश में राफ़्टिंग का रोमांच
सुबह-सुबह उठकर हमने नाश्ता किया. 10 बजे राफ़्टिंग के लिए गाड़ी को पिक करने आना था लेकिन क़रीब पौने ग्यारह बजे गाड़ी आई.
तपोवन से क़रीब 16 किलोमीटर आगे से राफ़्टिंग शुरू होती है (rishikesh rafting distance). इसके लिए हमें 1000 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से देने थे. (rafting in rishikesh price)
हमारे साथ रिवर राफ़्टिंग के लिए कुछ और लोग भी जुड़ गए थे. इनमें से एक लड़का साइकिल पर ऑल इंडिया टूर पे था. दो लड़कियाँ बाइक पर पूरा देश घूम रही थी. कुल मिलाकर सारे घुमक्कड़ प्रजाति के लोग ही थे.
rishikesh river rafting
एक ढाबे पर लेमन टी पीकर हम लाइफ़ जैकेट और हेल्मेट पहनकर तैयार हो गए पानी की लहरों से कुश्ती के लिए. पहले हम नदी तक पहुँचे और थोड़ी ही देर में हमारी राफ़्ट भी आ गयी. भूरी नाम का लड़का हमारा लीड था जो हमें सुरक्षा से जुड़े निर्देश दे रहा था.
किस कमांड पर चप्पुओं को कैसे घुमाना है, रैपिड आने पर क्या करना है, पैरों को राफ़्ट में किस तरह फँसाए रखना है, पानी में गिर जाने से ख़ुद को कैसे बचाना है और गिर जाने पर क्या करना है. सारे ज़रूरी निर्देशों के बाद हम अपने हाथों में चप्पू लिए राफ़्ट में बैठ गए. धड़कनें अभी से तेज़ हो गयी थी.
हमारे साथ-साथ एक कायाक भी चल रही थी ताकि आपातकालीन स्थिति में हमें सुरक्षित पानी से निकाला जा सके. क़रीब 16 किलोमीटर की राफ़्टिंग में पांच-छह रैपिड रास्ते में आते हैं. पहला रैपिड सामने आया तो राफ़्ट लहरों में हिचकोने खाने लगी. पानी की लहरों ने हमें पूरी तरह भीगा दिया. पहले रैपिड को पार करने के बाद आपका डर कुछ कम हो जाता है. हर रैपिड का अपना नाम हैं, मसलन डबल ट्रबल, टी ऑफ़ वग़ैरह. कुछ आगे चलने के बाद भूरी ने सबको पानी में उतर जाने को कहा. सब पानी में उतरकर तैरने लगे. मैंने तस्वीर ली. और फिर हम आगे बढ़ गए. आगे और रैपिड हमारा इंतज़ार कर रहे थे. रास्ते में एक जगह पर हमने ब्रेक लिया. यहां नदी किनारे पहाड़ी से आ रही की धारा पर हमने अच्छे से नहाया और फिर धूप सेंकते हुए चाय और मैगी का लुत्फ़ लिया. हमारे साथ आयर लोगों ने क्लिफ जंपिंग भी की. लेकिन हम इसके मूड में नहीं थे.
क़रीब घंटे भर लहरों से लड़ते रहने के बाद हम होस्टल लौट आए. पानी में आपका शरीर काफ़ी थक जाता है इसलिए लौटकर कुछ देर आराम किया और शाम को लक्ष्मण झूला की तरफ़ आ गए. रात के वक़्त लक्षमण झूला रोशनी में जगमगाने लगता है और बहुत खूबसूरत लगता है.
पिछली बार हम आरती के वक़्त रामझूला के आस-पास के घाटों में भी गए थे. रात के वक़्त घाट में खड़े होकर रोशनी में जगमगाते हुए रामझूला को देखना भी एक खूबसूरत अनुभव है.
पिछली बार मछलियों को खाना देने की आस्था की तमन्ना अधूरी रह गयी थी. इस बार वो तमन्ना भी हमने पूरी कर ली. घाट पर खड़े होकर हम नदी में आटे की छोटी-छोटी गोलियाँ डाल रहे थे और जैसे ही वो नदी में पहुँचती अचानक से मछलियों का झुंड उमड़ पड़ता. ये मछलियां इतनी फुर्ती से उन गोलियों पर लपक रही थी कि उन्हें देखकर हैरत हो रही थी.
रात को आस-पास टहलने के बाद हमने खाना खाया और हम होस्टल लौट आए.
चौथा दिन
गंगा किनारे वाली सुबह
सुबह-सुबह इंस्टाग्राम पर एक पुरानी दोस्त का मैसेज आया और तय हुआ कि गंगा घाट पर मिला जाए. कुछ देर में अपनी दोस्त यामिनी के साथ गंगा के किनारे एक एकांत सी जगह पर था. सुबह-सुबह नदी के किनारे खड़े होकर शांति को महसूस करना एक खास अनुभव था. यामिनी ने यूकेलेले पर अपने लिखे कुछ गाने भी सुनाए और फिर हम पास ही बने एक कैफ़े में चले आए. गंगा नदी के एकदम किनारे बने हुए कैफ़े में बैठकर काफ़ी देर तक इधर-उधर की बातचीत होती रही. ऋषिकेश के योग कल्चर और आश्रमों की राजनीति पर भी चर्चा हुई. योग सीखने के लिए विदेशों से हज़ारों लोग यहाँ आते हैं. यूं ही इसे योग कैपिटल ऑफ़ इंडिया नहीं कहा जाता है. अब ऋषिकेश में सालभर पर्यटकों का जमावड़ा रहने लगा है.
यहां से लौटकर कैफ़े कर्मा में हमने नाश्ता किया. तपोवन में बना यह कैफ़े भी शांति पसंद करने वालों लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है. दिन में हम शोपिंग करने के लिए बाज़ार में चले आए. ऋषिकेश से रुद्राक्ष, शंख और अलग-अलग नगों से जड़े हुए गहनों की खरीदारी की जा सकती है. साथ ही कुर्ते भी यहां से लिए जा सकते हैं.
रात को हमारी वापसी की बस थी. ऋषिकेश में ये चार दिन बढ़िया बीते. एक अच्छा शॉर्ट ट्रिप अपने अंतिम पड़ाव पर आ चुका था.
2 Comments
Anurag Singh
(November 30, 2019 - 8:41 pm)गज़ब की लेखनी है सर आपकी ऋषिकेश यात्रा पढ़कर मजा आ गया
yatrakaar
(March 5, 2020 - 9:59 pm)शुक्रिया आपका 🙂