दांये या बांये देखने के बाद
यहां मुम्बई में बैठे दायें या बायें देखते हुए एक कार थी जो पहाड़ के एक गांव कांडा के कलाकेन्द्र […]
यहां मुम्बई में बैठे दायें या बायें देखते हुए एक कार थी जो पहाड़ के एक गांव कांडा के कलाकेन्द्र […]
टाकिंग टम्स वो दोनों टाकिंग टम्स में नहीं थे। फेसबुक, जीटाक, स्काईप, बीबीएम सारे दरवाजे बंद थे। उसे लगा आज […]
इन्टयूशन था कि साली अच्छी होगी। कई इन्टयूशन सच निकलते हैं। इस बार यही हुआ। ये साली जिन्दगी कुलमिलाकर एक […]
बीते साल की आंखिरी सांसों के इर्द गिर्द महज महीना पुरानी बेरोजगारी की एक हल्की सी बू थी। रिज्यूमे को […]
इन दिनों मुम्बई में हूं। वहां वर्सोवा के समुद्री किनारे से मुम्बई पर कुछ लिखने का मन हुआ। गीली रेत […]
आज विकीपीडिया पूरी दुनिया को ये बता रहा है कि भारत पूरी दुनिया में इन्सानों की खरीद फरोक्त का मूल […]
बहसतलब का आज दूसरा दिन था। आज बात होनी थी हिन्दी सिनेमा और बाजार पर। कार्यक्रम के संचालन की बागडोर […]
बहसतलब का आज दूसरा दिन था। आज बात होनी थी हिन्दी सिनेमा और बाजार पर। कार्यक्रम के संचालन की बागडोर […]
मोहल्ला लाईव, जनतंत्र और यात्रा बुक्स द्वारा आयोजित बहसतलब का पहला दिन कुछ सार्थक बहसों के नाम रहा । अविनाश […]
हाल ही में रितेश शर्मा की एक डाक्यूमेंट्री फिल्म दिल्ली में प्रदर्शित की गई जिसमें देवदासी प्रथा जैसी ऐसी कुरीति […]
Into the wild …..और एक दिन वो सब कुछ छोड़ कर चला जाता है। कहीं दूर अलास्का के जंगलों की […]
बड़े बांधों को बनाये जाने को लेकर दुनिया भर में चर्चाएं हो रही हैं। विश्वभर में कुलमिलाकर 47665 छोटे बड़े […]
लव, सेक्स और धोखा। इन तीनों में से कोई भी शब्द हाईपोथैटिकल और नया नहीं है। तीनों इन्सानी फितरत के […]
निलिता वचानी एक जानी मानी डाक्यूमेंट्री फिल्म मेकर हैं ये बात कल उनकी फिल्मों के अंश देखते और उन पर […]
जामिया के मासकम्यूनिकेशन रिसर्च सेन्टर में साउन्ड के लेक्चरार मतीन अहमद को फिल्म चिल्ड्रन आफ पायर की साउन्ड डिजाइनिंग के […]
जामिया के एमसीआरसी में उस दिन एक अजीब वाकया सुनने को मिला। सुनकर सभी चैंके। और एक अजीब वितृष्णा से […]
डेज़ ऑफ़ हैवन उन कमाल की फिल्मों से एक है जिन्हें आप चाहें तो बस उनकी सिनेमेटोग्रेफी के लिए देख […]
दूर हिमालय शान्त खड़ा है दरकती हुई परतों का शोर अपनी षान्त नियति में छुपाया हुआ सा। एक लहर जो […]
उन लमहों में जब हम मायानगरी को देख रहे थे छलनी होते। हम लाचार हिरन थे जिसे शिकारियों ने घेर […]