कंचन पंत लेखिका हैं, पत्रकार हैं और कॉंटेंट प्रोजेक्ट में क्रिएटिव हेड हैं। एनडीटीवी जैसे संस्थानों के साथ टीवी पत्रकारिता की दुनिया में ख़बरों से जूझने के बाद उन्होंने अपनी ज़िंदगी की कहानी में एक ट्विस्ट दिया और कहानियों का हाथ थाम लिया। अब आलम ये है कि उनकी लिखी 200 से ज़्यादा कहानियां रेडियो पर प्रसारित हो चुकी हैं। ‘बेबाक़’ नाम से कहानियों की एक किताब भी लिख चुकी हैं।पहाड़ों से उनका प्यार फ़िलहाल उन्हें मायानगरी मुम्बई की दुनिया से उत्तराखंड लौटाकर ले आया है।