क़ातिल की आंख में ज़रा सा डर नहीं मिला
क़ातिल की आंख में ज़रा सा डर नहीं मिला उमेश पंत क़ातिल की आंख में ज़रा सा डर नहीं मिला […]
क़ातिल की आंख में ज़रा सा डर नहीं मिला उमेश पंत क़ातिल की आंख में ज़रा सा डर नहीं मिला […]
सुशील बहुगुणा वरिष्ठ पत्रकार हैं और एनडी टीवी से जुड़े हैं. खासतौर पर पर्यावरण से जुड़े विषयों पर उन्होंने कई […]
अमेरिका में मेरी पहली सुबह बारिश की फुहारें लेकर आयी सुबह होते ही जिन्दगी का सबसे कठिन सवाल मेरे सामने […]
नोट: लेख मूलतः नवभारत टाइम्स के लिए लिखा गया है और 14 नवम्बर 2015 के सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित हो […]
डियर मैगी, कल जब किराने की दूकान में गया तो जाते ही कहा…आंटी मैगी..ये कहते ही मुझको रुकना पड़ा..न चाहते […]
चलिये शुरु से शुरु करते हैं। पीके इसी भाव से शुरु होती है। एकदम नग्न। आवरणहीन। इस विशाल दुनिया के […]
1. अगस्त क्रान्ति राजधानी मुंबई सेन्ट्रल के प्लेटफाॅर्म एक से चल पड़ी थी। मम्मी खिड़की के बाहर भागती हुई दुनिया […]
उत्तराखंड के लोक-गायक ‘हीरा सिंह राणा’ की गीतों के क्रम में एक और गीत ‘गुल्लक’ के ज़रिये आपको सुनाया जा […]
पिछली पोस्ट में आपने सुना उत्तराखंड के मशहूर जनकवि और गीतकार हीरा सिंह राणा का गाया गीत ‘संध्या ‘. आज […]
हीरा सिंह राणा उत्तराखंड के मशहूर जनकवि एवं गीतकार हैं. उनके द्वारा लिखे गए गीत उत्तराखंड के तमाम आन्दोलनों में […]
(यह लेख गाँव कनेक्शन के 44वें अंक में प्रकाशित हो चुका है.) अयोध्या के बारे में अब तक अर्जित मेरी सारी […]
रोम में एक शासक हुआ करता था- नीरो। एक ऐसा शासक जिसके शासनकाल में लगी आग की लपटें आज तक […]
मूलतः गाँव कनेक्शन के लिए लिए गए इस साक्षात्कार को यहां भी पढ़ा जा सकता है. भारतीय सिनेमा में गाँव […]
मुम्बई के अंधेरी स्टेशन के भीतर उस ओवरब्रिज पर भागती भीड़ का न कोई सर पैर है, न कोई ओर […]
इस बीच फेसबुक पर दो मसलों को लेकर प्रतिक्रियाओं का अनवरत दौर जारी है। बाला साहब ठाकरे का देहावसान और […]
फेसबुक जैसी नेटवर्किंग सार्इट पर फैली अफवाह ने बैंग्लौर से लगभग 3 हज़ार उत्तर भारतीय लोगों को अपने अपने घरों […]
मुम्बर्इ में नया नया आया था तो टीवी के एक लेखक से मिलने गया। लोखंडवाला की पौश कौलानी में टूबीएचके […]
मैने दिल से कहा ढ़ूंढ़ लाना खुशी……कल मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक नीलेश मिस्रा के लिखे गीत की इन पंकितयों […]
अकेलापन हमारे समय के उन अहसासों में से एक है जो संक्रामक रोग की तरह दिन पर दिन फैल रहा […]
मुंबई डायरी : 8 (मार्च 2012) अजीब से रतजगे हैं इन दिनों। आज फिर रात भर का जागा हूं। पिछले […]
कहानी के ट्रेलर देखकर लग रहा था कि कोई रोने धोने वाली फिल्म होगी… जिसमें शायद कलकत्ते को लेकर नौस्टेल्जिया […]
बीहड़ में बागी होते हैं… डकैत मिलते हैं पार्लामेन्ट में…. पान सिंह तोमर का ये डायलौग फेसबुक की दीवारों पे […]
“You got to be careful that person you fall in love is worth it to you” “How can you trust […]
टाकिंग टम्स वो दोनों टाकिंग टम्स में नहीं थे। फेसबुक, जीटाक, स्काईप, बीबीएम सारे दरवाजे बंद थे। उसे लगा आज […]
बीते साल की आंखिरी सांसों के इर्द गिर्द महज महीना पुरानी बेरोजगारी की एक हल्की सी बू थी। रिज्यूमे को […]
इन दिनों मुम्बई में हूं। वहां वर्सोवा के समुद्री किनारे से मुम्बई पर कुछ लिखने का मन हुआ। गीली रेत […]
हिन्दी में ब्लाग कैसे बनायें कई लोग ये सवाल करते मिल जाते हैं। शुरुआती दिनों में ब्लाग कैसे बनायें यह […]
उन सभी फिल्मी गीतों के नाम जिनको गुनगगुनाते हुए हम बड़े हुए और जो हमारी उम्र के साथ बढ़ते रहेंगे […]
ये लेख मूलतह एक रेडियो फीचर की पटकथा है जिसे एक प्रोजेक्ट के तहत लिखा गया था। इसे लिखने में […]
दूर हिमालय शान्त खड़ा है दरकती हुई परतों का शोर अपनी षान्त नियति में छुपाया हुआ सा। एक लहर जो […]
मौजूदा समय में पूरे उत्तराखंड में जिस तरह से आन्दोलनों ने जोर पकड़ा है उसे देख यही लगता है कि […]
कुछ महीनों पहले दिल्ली के एक संस्थान से एमबीए कर रहे छात्र ने आत्हत्या करने का प्रयास किया। कारण था […]
उन लमहों में जब हम मायानगरी को देख रहे थे छलनी होते। हम लाचार हिरन थे जिसे शिकारियों ने घेर […]
गंगोलीहाट में अभिलाषा एक प्रयास नाम से छात्रों का एक अनौपचारिक संगठन है जिसे रोहित भाई के साथ कुछ सालों […]
इन्टरनेट इन दिनों दैनिक उपयोग की जरुरी चीजों में शुमार हो गया है। लेकिन जरुरी कामों के साथ कई बार […]
रंजना कुमारी ,निदेशक, सेन्टर फार सोशल रिसर्च लोकतंत्र में जनआन्दोलनों की भूमिका काफी अहम रही है। यह भूमिका आज के […]