
बाद बारिश के
फूल चादर की तरह लाल मिट्टी वाली उस कच्ची सड़क पर बिछे थे। रेंगती हुई चींटियां खुश थी कि बारिश […]
फूल चादर की तरह लाल मिट्टी वाली उस कच्ची सड़क पर बिछे थे। रेंगती हुई चींटियां खुश थी कि बारिश […]
बाद बारिश के सुबह की सैर जैसे रात का सपना हो गई थी.. ज़मीन अभी भी नम थी.. जैसे कभी […]
उस जंगल की परिधि से लगी छोटी-बड़ी इमारतें ऐसी लग रही थी जैसे किसी शांत सी झील को कंटीले तार-बाढ़ […]
रात का तकरीबन नौ बज रहा था। संगीत नाटक अकादमी से बाहर निकला ही था कि मेनरोड पर एक रिक्शेवाले […]
Lucknow Diary सेक्स सोसाईटी एन्ड शी…. लखनऊ में इस नाम से कोई थियेटर शो है, पहले तो ये जानकर ही […]
सीने में इन दिनों कभी कभी तेज़ दर्द होता है.. लगता है की पेट के अन्दर कोई जा बैठा है जो कभी […]
तो इस बार की होली जेएनयू में खेली। बाबा गंगनाथ मार्ग से जेएनयू के गेट की तरफ बड़ते ही माहौल […]
Mumbai Diary : 17 (December 2013) गुलज़ार साहब को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिलने की बधाई देते हुए मोहल्ला लाइव […]
मुंबई डायरी : 8 (मार्च 2012) अजीब से रतजगे हैं इन दिनों। आज फिर रात भर का जागा हूं। पिछले […]
ये वाकया दिल्ली की संवेदनहीनता को बयान करता ह। ये बताता है कि दिल्ली के दिलवाले लोगों के बीच इस […]
[dropcap]न[/dropcap]दियां हमेशा उस जगह को एक संस्कृति देती हैं जहां वो बह रही होती हैं। नदियों के साथ एक पूरा […]
कई बार ना जाने क्यों लगता है कि इस शहर में एक बंजर सी उदासी भरी पडी है। और जब […]