“You got to be careful that person you fall in love is worth it to you”
“How can you trust your feelings when they can disappear like that..”
किसी से प्यार करते वक्त जो बात सबसे जरुरी है वो ये कि इस बात का पूरा ध्यान रखा जाये कि जिससे आपको प्यार हो रहा है वो इस लायक है भी कि नहीं कि उसे प्यार किया जा सके। ये बात भले ही थोड़ा अटपटी लगे लेकिन ब्लू वैलेन्टाईन यही बात व्यावहारिक ढ़ंग से समझाती है…अक्सर हम अपनी भावनाओं के वश में आकर प्यार करते हैं… भावनाओं का भरोसा करते हैं…. इम्पल्सेज का कहा मान लेते हैं….फिर वो भावनाएं एक संसार रचती हैं… हमें अपनी असल जिन्दगी के समानान्तर एक जीवन जीने को देती हैं… हम उस जीवन को जीने लगते हैं… पर एक दिन वक्त के किसी हिस्से में हमारा असल जीवन उस समानान्तर खड़ी हो गई दुनिया से टकरा जाता है… वही टकराहट भावनाओं के द्वारा रची गई हमारी दुनिया को सबसे खतरनाक मोड़ पे ले आती है… वहीं पता चलता है कि हमारी भावनाओं का फैसला कितना सही या कितना गलत था…. ब्लू वैलेन्टाईन देखकर यही बात कितनी आसानी से समझ आ जाती है… एक सवाल खड़ा करती सी कि हम उन भावनाओं का भरोसा कैसे कर सकते हैं जो एक दिन अचानक कहीं खो जाती हैं… जो अक्सर एक झूठे रास्ते पर ले जाते हुए वक्त के किसी मोड़ पर हमें मजधार में छोड़कर खुद कहीं गुम हो जाती हैं। उनकी जगह नई भावनाएं ले लेती हैं… पुरानी भावनाओं को बेमतलब कर देती सी…
डैन और सिंडी पेन्सेल्वेनिया में एक दिन मिलते हैं… हाईस्कूल ड्रौपआउट डैन जिसके लिये पोटेन्शियल का मतलब केवल पैसे कमाकर बड़ा आदमी बनना नहीं है….एक मूविंग कम्पनी में सामान ट्रांसपोर्ट करने का काम करता है… और सिंडी प्रीमेडिकल की स्टूडैंट है जो अपने खराब रिश्तों से जूझ रहे मां बाप के साथ रहती है और अपनी दादी की देखभाल करती है…. दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगते हैं… दोनों के बीच सेक्स होता है…सिंडी प्रेग्नेंट होती है और अपने जीवन में आये इस इक्कीसवे आदमी से सेक्स कर चुकी सिंडी को पता चलता है कि ये बच्चा डैन का नहीं है…वो अबोर्सन कराना चाहती है पर ठीक औपरेशन के वक्त वो अपना फैसला बदल लेती है… डैन उस बच्ची को अपना लेता है…दोनों शादी कर लेते हैं…. लेकिन धीरे धीरे उनका रिश्ता वक्त की जंग खाता सा कमज़ोर पड़ने लगता है…सिंडी चाहती है कि डैन कुछ ऐसा करे जो बड़ा हो… कुछ ऐसा जिससे दोनों खुश रह सकें… पर वो ठीक ठीक क्या चाहती है दोनों में से किसी को नहीं पता… डैन ये जानना चाहता है लेकिन सिंडी के पास इस बात का जवाब नहीं है… धीरे धीरे सिंडी बस यही समझ पाती है कि उनके बीच चीजें वर्क आउट नहीं हो सकती… उसके असंतोष का कोई हल नहीं निकल सकता…
फिल्म में एक साथ दो कहानियां एक दूसरे के पैरलल चल रही होती हैं…एक जिसमें डैन और सिंडी का रिश्ता शुरु हो रहा है…दूसरी, जिसमें वही रिश्ता धीरे धीरे खत्म हो रहा है…. अतीत को उसकी पीठ पीछे झुटलाता सा एक वर्तमान…. फिल्म के अंत में अतीत का एक हिस्सा चर्च में उनको पति पत्नी के रिश्ते में बांध रहा है और वर्तमान का एक हिस्सा उनके रिश्ते में स्पेस की दरकार पैदा करता सा हमेशा के लिये खत्म हो रहा है … अपने बीच की कड़ी उनकी बच्ची की इच्छाओं को नज़रअंदाज़ करता सा…
पूरी फिल्म में एक बेहद खूबसूरत तनाव है… एक बनते और टूटते रिश्ते की कौम्प्लिेक्सिटी है… कहीं कोई बड़ा ड्रामा नहीं है….सब कुछ ऐसे हो रहा है जैसे कोई फिल्म न हो असल जिन्दगी हो… जिसमें वक्त दो हिस्सों में बंटकर एक साथ हमारी आखों के सामने बह रहा हो… एक ऐसी नदी बनकर जो धीरे धीरे सूख रही है…