उन सभी फिल्मी गीतों के नाम जिनको गुनगगुनाते हुए हम बड़े हुए और जो हमारी उम्र के साथ बढ़ते रहेंगे हमारे साथ…. हम उम्रदराज होते रहेंगे और ये गीत और जवान
सदियां जिन्हें गुनगुनाकर चली गई
पर जो जिन्दा रहेंगे सदियों तक
गुनगुनाने के लिए।
जो बांटते रहे हैं अकेलापन
बिखेरते रहे हैं खुशियां
बनते रहे हैं
दर्द की दवा भी।
गीत जो घुल गये हैं परम्पराओं में
मिसरी के घोल की तरह
जिनमें घुल गई हैं भावनाएं
और बन गये हैं गीत
दिल की आवाज।
गीत जिन्होंने शब्दों को प्रवाह दिया
और एक नदी की तरह
गीत बहे जा रहे हैं
जीवन के साथ
जीने की वजह बनकर।
बज रहा है कार के स्टीरियो में
एक पुराना गीत
और सामने एक रिक्शेवाला
दे रहा है थाप।
टैफिक जाम है
और गीत है
जो बहा जा रहा है
सबकी रगों में
एक जैसा।
सही कहा .. रचना अच्छी है!!
क्या खूब कविता है——- उमेश भाई
………………….. रोहित जोशी